नई दिल्ली। भारत एस 400 हवाई रक्षा मिसाइल प्रणालियां खरीदने के लिए रूस से करीब 40,000 करोड़ रुपए का समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अक्टूबर में होने वाली वार्षिक शिखर बैठक से पहले कर सकता है। गौरतलब है कि भारत करीब 4000 किलोमीटर लंबी चीन-भारत सीमा पर अपनी वायु रक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए लंबी दूरी की मिसाइल प्रणालियां खरीदना चाहता है।
आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी कि भारत आगामी टू प्लस टू वार्ता के दौरान अमेरिका को अवगत करा सकता है कि वह एस-400 ट्रायम्फ हवाई रक्षा मिसाइल तंत्र का बेड़ा खरीदने के लिए रूस के साथ 40,000 करोड़ रुपए के सौदे पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि रूस व अमेरिका में जारी खींचतान के बावजूद भारत को पूरा भरोसा है कि इस सौदे को पूरा कर लिया जाएगा। इस सौदे के लिए बातचीत अंतिम दौर में है तथा कीमत व अन्य छोटे मोटे मुद्दों को लेकर मतभेदों को करीब करीब दूर कर लिया गया है। इस सौदे की जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि अब दोनों देश अमेरिका के कानून के प्रावधानों से बचने के तरीके तलाश रहे हैं। इन प्रावधानों के अनुसार रूस के रक्षा अथवा खुफिया प्रतिष्ठानों से लेन-देन करने वाले देशों और कंपनियों को दंड देने की बात कही गई है।
आपको बता दें अमेरिका ने क्रीमिया पर कब्जे और साल 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में कथित दखल के लिए सख्त सीएएटीएसए कानून के तहत रूस के खिलाफ सैन्य प्रतिबंध लगा रखा है। सीएएटीएसए के तहत डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन को रूस के रक्षा या खुफिया प्रतिष्ठान के साथ महत्वपूर्ण लेन-देन में संलिप्त देश और संस्था को दंडित करने का अधिकार मिला हुआ है।
सूत्रों ने बताया कि भारत क्षेत्रीय सुरक्षा की पृष्ठभूमि के साथ ही रूस के साथ अपने करीबी रक्षा सहयोग के मद्देनजर मिसाइल प्रणाली को लेकर अपनी जरूरतों का हवाला देते हुए इस बड़े सौदे के लिए ट्रंप प्रशासन से छूट की मांग कर सकता है।
एशिया मामले को देखने वाले पेंटागन के वरिष्ठ अधिकारी रेंडाल स्क्रीवर ने गुरूवार को कहा कि अमेरिका संकेत देता रहा है कि वह नहीं चाहता है कि भारत रूस के साथ सौदे को अंतिम रूप दे। अमेरिका इसकी गारंटी नहीं दे सकता कि रूस से हथियार की खरीदारी करने पर भारत को छूट दी जाएगी।
अमेरिका और भारत के बीच रणनीतिक मामलों पर बहुप्रतीक्षित टू प्लस टू वार्ता का पहला संस्करण यहां छह सितंबर को होगा। इसमें आपसी हितों के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी।