म्यांमार (Myanmar) में हुए तख्तापलट की जानकारी तो सबको है। 1 फरवरी को म्यांमार (Myanmar) की सेना ने तख्तापलट किया और देश पर शासन करना शुरु कर दिया। सेना के नेता मिन ऑन्ग लैंग ने नेता ऑन्ग सान सू की समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया। सेना के इस तख्तापलट का म्यानमार (Myanmar) की जनता ने विरोध किया। सेना के नेता लैंग ने सुरक्षाबलों के खिलाफ हिंसक प्रतिक्रिया करने का आदेश दिया और सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई और इस हिंसा में अब तक करीबन 130 से ज्यादा बच्चों की एवं 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है एवं 2100 लोगों को हिरासत में लिया गया है। । इस घटना को हुए अब दो महीने से ज्यादा हो चुका है लेकिन यह विरोध रुक ही नही रहा है।
म्यांमार मे तख्तापलट का कारण
म्यांमार जिसे बर्मा (Burma) के नाम से भी जाना जाता है, में बीते वर्ष नवम्बर में चुनाव हुए थे जिसमे Aung San Suu Kyi की पार्टी ने जीत हासिल की थी जिस पर सेना के नेता ने आरोप लगाया की चुनाव में बङे स्तर पर धांधली हुई है। बाद में चुनाव आयोग को सार्वजनिक तौर पर डेटा दिखाने की मांग की लेकिन चुनाव आयोग ने ये दरख्वास्त खारिज कर दी।
वहीं प्रदर्शनकारी, सेना के बदले जनता के हाथ में नियंत्रण देने की मांग कर रहे है और साथ ही साथ Suu Kyi एवं बाकी नेताओं के रिहाई की भी मांग कर रहे है। कई लोग 2008 में सेना के लिखे हुए संविधान को हटा कर लोकतंत्र स्थापित करना चाहते है और इस प्रदर्शन में युवा बङी मात्रा में भाग ले रहे है लेकिन हङताल के चलते काफी मुश्किलों का भी सामना करना पङ रहा है।
यह मामला इतना गंभीर हो गया है कि म्यांमार (Myanmar) की सेना प्रदर्शनकारियों पर हमले करने लगी, उनके घरों में पहुँच कर छापे मारने लग गए और लोगो को उनके घरो से बाहर निकालने लगे। इतना ही नहीं कई नागरिकों को तो उनके अपने परिजनों से दूर करके हिरासत में ले लिया गया। कई लोगो को ऐसी जगहों पर रखा गया है जिनके बारे में किसी को कुछ पता नहीं है।
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तहाँ एक तरफ म्यांमार में पहले से ही रोहिंग्या मुसलमानों के ऊपर हो रहे अत्याचार को लेकर काफी तनाव चल रहे है। जहाँ एक तरफ रोहिंग्या म्यांमार (Myanmar) से भाग कर बांगलादेश में शरण ले रही है तो वहीं दूसरी तरफ इस हिंसक प्रदर्शन के बाद अनेको म्यांमार के निवासी अपने घरो को छोङकर भारत से शरण मांग रहे है।
तख्तापलट के बाद म्यांमार (Myanmar) के निवासीयो ने भारत में शरण लेना शुरू कर दिया है। शरणार्थी समस्या बढने के कारण अब भारत सरकार भी मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश कब सीमाओं को बंद करने का निर्णय लिया। इस दर्दनीय हिंसा के बाद समाजिक कार्यकरताओं एवं प्रदर्शनकारियों ने United Nation को मामले में दखल देने के लिए अपील किये। इस हिंसा के बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने म्यांमार की सेना पर अनेक पाबंदियां लगा दी।
म्यांमार में हो रहे इस प्रदर्शन से काफी हानि हुई है, इस आन्दोन को देखकर ऐसे लगता है मानों जनता सैन्य सत्ता वाली भविष्य नहीं चाहती है। फिलहाल तो 2020 में हुए चुनाव को खारिज करते हुए म्यांमार की सेना ने आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन माइंट को हिरासत मे रख लिया है।
अब या तो म्यांमार की जनता और सेना को मिलकर इस तनाव को आपसी बातचीत से सुलझाना होगा या फिर यह प्रदर्शन काफी दर्दनाक रुप ले सकता है। यदि ऐसे ही बङे बङे प्रदर्शन होते रहे तो देश के अंदर संकट की स्थिति पैदा होने में ज्यादा देर नहीं लगेगा और फिर बाद में इन सब से बाहर निकलने में म्यांमार को काफी मुश्किलों का सोमना करना पर सकता है।
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