यज्ञ और हवन के लिए मण्डप निर्माण || Yagya Havan Mandap kese banaye ?
1- मण्डप को अधिक आकर्षक बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए। आम, जामुन और अशोक आदि के जल्दी न मुरझाने वाले नये और कोमल पत्ते, केले के खम्भे, पत्तीयों के वन्दनवार, उपलब्ध रंग गुलाल, ऋतु फूल, छोटे-छोटे फल आदि सूझ-बूझ के साथ लगाने चाहिए। जिससे मण्डप को साथ सजाया जा सके। कमल, अरवी के पत्ते, सिंघाड़े, बेर, अमरूद, करेला, टमाटर, परवल, ककड़ी जैसी वस्तुओं को पत्तों के पीछे गथना चहिए जिससे हवन मण्डप अधिक सुन्दर बन जाता है।
2- शहरों में जहाँ फूल-पत्ते आदि (वन-सम्पदा) मिलनी कठिन है, वहाँ पर साज-सज्जा के लिए रंगीन कपड़ों की छाया, झालर के द्वार तथा बाँस-बल्लियों को कपड़े से लपेट सकते हैं। झण्डियाँ, बेलें, फूल-पत्ते आदि यदि कागज को काटकर बनाना आता हो तो और भी अच्छा है वह सब बना कर लगा दें। तो उससे मण्डप शोभा और भी अधिक बड जायेगी। लम्बी बल्लियों पर बड़े आकार के अपने झण्डे लगाये जाने चाहिए।
3- यज्ञ मण्डप ही नहीं, जहाँ आयोजन हो रहा हो, उस स्थल को झण्डियों, तोरणों (वन्दनवार) से सजाया जाना चाहिए।
4- यज्ञ वेदी के चारों ओर कई रंगो को मिलाकर कई डिजाइन के चौक बनाये जाते हैं। सेलखड़ी रंगकर या गुलाल से सुन्दर रंगोली और चौक बनानी चाहिए जिसे देखकर सबका मन प्रसन्न हो जाता है।
5- यज्ञ मण्डप की भूमि को पहले से ही समतल और लीप-पोतकर सही बना लेनी चाहिए। यदि सम्भव हो, तो मण्डप की भूमि को छः इंच या नौ इंच ऊँचा उठाने का प्रयत्न किया जाए।
6- यज्ञशाला में चारों ओर रस्सियों की या बाँसों की बाड़ बना देनी चाहिए, उसमें एक बाँस का दरवाजा भी रहे। जिससे कुत्ते व अन्य जानवर भीतर न आ सकें।
7- यज्ञ कुण्ड जमीन में खोदने की आवश्यकता नहीं। उन्हें जमीन पर ही बनाया जाए। जमीन से मेखलाओं की ऊंचाई तक की जगह हवन सामग्री के लिए पर्याप्त है। कण्ड के स्थान पर वेदी भी बनाई जा सकती है। कुण्ड या वेदियाँ सही माप एवं आकार की होनी चाहिए।
8- एक कुण्ड यज्ञशाला के लिए स्थान 8 फुट चौड़ा और 8 फुट से कम लम्बा नहीं होना चाहिए। 1-2 फुट सुविधानुसार बढ़ाया जा सकता है। एक कुण्ड की यज्ञशाला के लिए चार खम्भे पर्याप्त है। 5 कुण्डीय, 9 कुण्डीय यज्ञशाला बडी साइज की होती है। बाहर १२ खम्भे और बीच में ४ खम्भे लगाने पड़ते हैं। पाँच कुण्डों की यज्ञशाला सामान्य रूप से १८४१८ फुट और ९ कुण्डों की २४४२४ फुट स्थान लेती है। बीच में चार खम्भे ६४६ या ८४८ फुट पर गाड़े जाएँ, मण्डप की ऊँचाई ९ फुट से १५ फुट तक रखनी चाहिए।
9- कुण्डों की संख्या बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा नहीं की जानी चाहिए। साधारण आयोजनों में एक कुण्ड पर्याप्त है। यदि यज्ञकर्ताओं की उपस्थिति अधिक हो, तो पाँच कुण्डीय या अधिक से अधिक ९ कुण्डों की यज्ञशाला बनाई जा सकती है। बहुत अधिक कुण्डों के यज्ञ नहीं किये जाने चाहिए।
१0- तीन मेखलाएँ तीन रंग से रंग देनी चाहिए। नीचे की काली, बीच में लाल तथा ऊपर की सफेद रंगनी चाहिए। वेदी बनाएँ, तो उसके चारों ओर मेखला की प्रतीक तीन लकीरें खींची जा सकती हैं। तीनों मेखलाएँ समान ऊँचाई-चौड़ाई की होनी चाहिए। एक फुट लम्बा और एक फुट चौड़ा भीतरी भाग रहना पर्याप्त है। इसके लिए औसतन दो-दो इंच ऊँचाई-चौड़ाई की प्रत्येक मेखला होनी चाहिए। नीचे वाली मेखला से सटी हुई एक नाली, पानी भरने के लिए बनानी चाहिए।
यज्ञ और हवन के लिए मण्डप निर्माण Yagya Havan Mandap करते समय उपरोक्त बातो का ध्यान रखना चाहिए।
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