कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram in Hindi Arth Sahit) का हमारे शास्त्रों में बहुत ही खास बताया गया है। जो भी पूरी श्रद्धा और विश्वास से कनकधारा स्तोत्र का पाठ करता है, माता लक्ष्मी की कृपा सदैव उस पर बनी रहती है। शुक्रवार के दिन कनकधारा स्तोत्र का जाप करने का विशेष महत्व है इस दिन कनकधारा स्तोत्र का 11 बार पाठ करने से माता लक्ष्मी उसके जीवन से सभी परेशानियों को हटा कर सुख सम्पदा प्रदान करती हैं। इसलिए शुक्रवार के दिन कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram in Hindi Arth Sahit) अवश्य करना चाहिए।
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श्री कनकधारा स्तोत्र || Shree Kanakadhara Stotram in Hindi Arth Sahit
अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम।
अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया:।।1।।
अर्थ- जैसे भ्रमरी अधखिले कुसुमों से अलंकृत तमाल तरु का आश्रय लेती है, उसी प्रकार जो प्रकाश श्रीहरि के रोमांच से सुशोभित श्री अंगों पर निरंतर पड़ता रहता है तथा जिसमें संपूर्ण ऐश्वर्य का निवास है, संपूर्ण मंगलों की अधिष्ठात्री देवी भगवती महालक्ष्मी का वह कटाक्ष मेरे लिए मंगलदायी हो।
मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि।
माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया:।।2।।
अर्थ- जैसे भ्रमरी महान कमल दल पर मंडराती रहती है, उसी प्रकार जो श्रीहरि के मुखारविंद की ओर बराबर प्रेमपूर्वक जाती है और लज्जा के कारण लौट आती है। समुद्र कन्या लक्ष्मी की वह मनोहर मुग्ध दृष्टिमाला मुझे धन संपत्ति प्रदान करें ।
विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि।
ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय:।।3।।
अर्थ- जो संपूर्ण देवताओं के अधिपति इंद्र के पद का वैभव-विलास देने में समर्थ है, मधुहन्ता श्रीहरि को भी अधिकाधिक आनंद प्रदान करने वाली है तथा जो नीलकमल के भीतरी भाग के समान मनोहर जान पड़ती है, उन लक्ष्मी जी के अध खुले नेत्रों की दृष्टि क्षण भर के लिए मुझ पर थोड़ी सी अवश्य पड़े।
आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्।
आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजंगरायांगनाया:।।4।।
अर्थ- शेषशायी भगवान विष्णु की धर्मपत्नी श्री लक्ष्मीजी के नेत्र हमें ऐश्वर्य प्रदान करने वाले हों, जिनकी पुतली तथा बरौनियां अनंग के वशीभूत हो अधखुले, किंतु साथ ही निर्निमेष (अपलक) नयनों से देखने वाले आनंदकंद श्री मुकुन्द को अपने निकट पाकर कुछ तिरछी हो जाती हैं।
बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभै या हारावलीव हरिनीलमयी विभाति।
कामप्रदा भगवतो पि कटाक्षमाला कल्याण भावहतु मे कमलालयाया:।।5।।
अर्थ- जो भगवान मधुसूदन के कौस्तुभमणि-मंडित वक्ष स्थल में इंद्र नीलमयी हारावली-सी सुशोभित होती है तथा उनके भी मन में प्रेम का संचार करने वाली है, वह कमल-कुंजवासिनी कमला की कटाक्ष माला मेरा कल्याण करे।
कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव्।
मातु: समस्त जगतां महनीय मूर्तिभद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनाया:।।6।।
अर्थ- जैसे मेघों की घटा में बिजली चमकती है, उसी प्रकार जो कैटभ शत्रु श्री विष्णु के काली मेघमाला के श्याम सुंदर वक्षस्थल पर प्रकाशित होती है, जिन्होंने अपने आविर्भाव से भृगुवंश को आनंदित किया है तथा जो समस्त लोकों की जननी है, उन भगवती लक्ष्मी की पूजनीय मूर्ति मुझे कल्याण प्रदान करे।
प्राप्तं पदं प्रथमत: किल यत्प्रभावान्मांगल्य भाजि: मधुमायनि मन्मथेन।
मध्यापतेत दिह मन्थर मीक्षणार्द्ध मन्दालसं च मकरालयकन्यकाया:।।7।।
अर्थ- समुद्र कन्या कमला की वह मंद, अलस, मंथर और अर्धोन्मीलित दृष्टि, जिसके प्रभाव से कामदेव ने मंगलमय भगवान मधुसूदन के हृदय में प्रथम बार स्थान प्राप्त किया था, यहां मुझ पर पड़े।
दद्याद दयानुपवनो द्रविणाम्बुधाराम स्मिभकिंचन विहंग शिशौ विषण्ण।
दुष्कर्मधर्ममपनीय चिराय दूरं नारायण प्रणयिनी नयनाम्बुवाह:।।8।।
अर्थ- भगवान नारायण की प्रेयसी लक्ष्मी का नेत्र रूपी मेघ दया रूपी अनुकूल पवन से प्रेरित हो दुष्कर्म (धनागम विरोधी अशुभ प्रारब्ध) रूपी धाम को चिरकाल के लिए दूर हटाकर विषाद रूपी धर्मजन्य ताप से पीड़ित मुझ दीन रूपी चातक पर धनरूपी जलधारा की वृष्टि करें।।8।।
इष्टा विशिष्टमतयो पि यथा ययार्द्रदृष्टया त्रिविष्टपपदं सुलभं लभंते।
दृष्टि: प्रहूष्टकमलोदर दीप्ति रिष्टां पुष्टि कृषीष्ट मम पुष्कर विष्टराया:।।9।।
अर्थ- विशिष्ट बुद्धि वाले मनुष्य जिनके प्रीति पात्र होकर जिस दया दृष्टि के प्रभाव से स्वर्ग पद को सहज ही प्राप्त कर लेते हैं, पद्मासना पद्मा की वह विकसित कमल-गर्भ के समान कांतिमयी दृष्टि मुझे मनोवांछित पुष्टि प्रदान करें।
गीर्देवतैति गरुड़ध्वज भामिनीति शाकम्भरीति शशिशेखर वल्लभेति।
सृष्टि स्थिति प्रलय केलिषु संस्थितायै तस्यै नमस्त्रि भुवनैक गुरोस्तरूण्यै ।।10।।
अर्थ- जो सृष्टि लीला के समय वाग्देवता (ब्रह्मशक्ति) के रूप में विराजमान होती है तथा प्रलय लीला के काल में शाकम्भरी (भगवती दुर्गा) अथवा चन्द्रशेखर वल्लभा पार्वती (रुद्रशक्ति) के रूप में अवस्थित होती है, त्रिभुवन के एक मात्र पिता भगवान नारायण की उन नित्य यौवना प्रेयसी श्री लक्ष्मी जी को नमस्कार है।
श्रुत्यै नमोस्तु शुभकर्मफल प्रसूत्यै रत्यै नमोस्तु रमणीय गुणार्णवायै।
शक्तयै नमोस्तु शतपात्र निकेतानायै पुष्टयै नमोस्तु पुरूषोत्तम वल्लभायै।।11।।
अर्थ- मात:। शुभ कर्मों का फल देने वाली श्रुति के रूप में आपको प्रणाम है। रमणीय गुणों की सिंधु रूपा रति के रूप में आपको नमस्कार है। कमल वन में निवास करने वाली शक्ति स्वरूपा लक्ष्मी को नमस्कार है तथा पुष्टि रूपा पुरुषोत्तम प्रिया को नमस्कार है।
नमोस्तु नालीक निभाननायै नमोस्तु दुग्धौदधि जन्म भूत्यै ।
नमोस्तु सोमामृत सोदरायै नमोस्तु नारायण वल्लभायै।।12।।
अर्थ- कमल वदना कमला को नमस्कार है। क्षीरसिंधु सभ्यता श्री देवी को नमस्कार है। चंद्रमा और सुधा की सगी बहन को नमस्कार है। भगवान नारायण की वल्लभा को नमस्कार है।
सम्पतकराणि सकलेन्द्रिय नन्दानि साम्राज्यदान विभवानि सरोरूहाक्षि।
त्व द्वंदनानि दुरिता हरणाद्यतानि मामेव मातर निशं कलयन्तु नान्यम्।।13।।
अर्थ- कमल सदृश नेत्रों वाली माननीय मां ! आपके चरणों में किए गए प्रणाम संपत्ति प्रदान करने वाले, संपूर्ण इंद्रियों को आनंद देने वाले, साम्राज्य देने में समर्थ और सारे पापों को हर लेने के लिए सर्वथा उद्यत हैं, वे सदा मुझे ही अवलम्बन दें। (मुझे ही आपकी चरण वंदना का शुभ अवसर सदा प्राप्त होता रहे)।
यत्कटाक्षसमुपासना विधि: सेवकस्य कलार्थ सम्पद:।
संतनोति वचनांगमानसंसत्वां मुरारिहृदयेश्वरीं भजे।।14।।
अर्थ- जिनके कृपा कटाक्ष के लिए की गई उपासना उपासक के लिए संपूर्ण मनोरथों और संपत्तियों का विस्तार करती है, श्री हरि की हृदयेश्वरी उन्हीं आप लक्ष्मी देवी का मैं मन, वाणी और शरीर से भजन करता हूं।
सरसिजनिलये सरोज हस्ते धवलमांशुकगन्धमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्।।15।।
अर्थ- भगवती हरिप्रिया! तुम कमल वन में निवास करने वाली हो, तुम्हारे हाथों में नीला कमल सुशोभित है। तुम अत्यंत उज्ज्वल वस्त्र, गंध और माला आदि से सुशोभित हो। तुम्हारी झांकी बड़ी मनोरम है। त्रिभुवन का ऐश्वर्य प्रदान करने वाली देवी, मुझ पर प्रसन्न हो जाओ।
दग्धिस्तिमि: कनकुंभमुखा व सृष्टिस्वर्वाहिनी विमलचारू जल प्लुतांगीम।
प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष लोकाधिनाथ गृहिणी ममृताब्धिपुत्रीम्।।16।।
अर्थ- दिग्गजों द्वारा सुवर्ण-कलश के मुख से गिराए गए आकाश गंगा के निर्मल एवं मनोहर जल से जिनके श्री अंगों का अभिषेक (स्नान) संपादित होता है, संपूर्ण लोकों के अधीश्वर भगवान विष्णु की गृहिणी और क्षीरसागर की पुत्री उन जगज्जननी लक्ष्मी को मैं प्रात:काल प्रणाम करता हूं।
कमले कमलाक्षवल्लभे त्वं करुणापूरतरां गतैरपाड़ंगै:।
अवलोकय माम किंचनानां प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयाया : ।।17।।
अर्थ- कमल नयन केशव की कमनीय कामिनी कमले! मैं अकिंचन (दीन-हीन) मनुष्यों में अग्रगण्य हूं, अत एव तुम्हारी कृपा का स्वाभाविक पात्र हूं। तुम उमड़ती हुई करुणा की बाढ़ की तरह तरंगों के समान कटाक्षों द्वारा मेरी ओर देखो।
स्तुवन्ति ये स्तुतिभिर भूमिरन्वहं त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।
गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो भवन्ति ते बुधभाविताया:।।18।।
अर्थ- जो मनुष्य इन स्तुतियों द्वारा प्रतिदिन वेदत्रयी स्वरूपा त्रिभुवन-जननी भगवती लक्ष्मी की स्तुति करते हैं, वे इस भूतल पर महान गुणवान और अत्यंत सौभाग्यशाली होते हैं तथा विद्वान पुरुष भी उनके मनोभावों को जानने के लिए उत्सुक रहते हैं।
॥श्रीमदाध्यशङ्कराचार्यविरचितं श्री कनकधारा स्तोत्रम् समाप्तम्॥ Kanakadhara Stotram in Hindi Arth Sahit End॥
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Jai maa laxmi ganesh sarswati karthik bhagwan ji ki jai baba ji 🙏
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जय मां लक्ष्मी
इस स्त्रोत को लिखने वाले पूज्य श्री शंकराचार्य जी को नमन
इस स्त्रोत को गाकर लोगों का कल्याण करने वाले गायक का घन्यवाद नमस्कार
Jai Mata Laxmi…
Devine…peaceful..
Excellent
Many Thanks
Great work done by you “Sir”
❤️🙏 jai shree Laxmi Mata ki Jai ❤️🙏
Nice
Maa bhagavati ko sat sat naman 🙏🙏🙏puri srishti ko raksha kariye 🙏🙏🙏
जय लक्ष्मी माता जय जय लक्ष्मी माता जिस घर में तुम रहती सुख संपत्ति आता जय हो लक्ष्मी
OM shrem Maa Laxmi namah
JAI MAATA LAKSHMI MAATA🙏 JAI MAATA TRISHAKTI MAATA🙏🙏🙏
Jai maa laxmi aapki sdaaa hi jai,,, jaikaar ho🙏🙏🙏🙏👏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏👑✨👑✨🌹🌹🌹🌹🌹
Adhbhut aanand Dene wala Strother. maa laxmi sada kripa banaye rakhe.
Om jaY Laxmi Mata ki jay Om jay Shree Hri Om jay Mata Di om jay Sheshnag ji ki jay om jay Samst Mata Pita ji ki jay Sbo ko Parnam Om jay Samst Mata Pita ji Ke Putro Avm Putri ji ko Parnam Sbo ko Parnam
कर कृपा माँ -कर कृपा माँ।
तुम्हारे होते सिंघल दर दर भटके क्यों माँ।
Jay sree narayan jay maa laxmi om sree laxmi narayani namo
Jai Maha laxmi
ओम नमस्कार किया गया है कि वह अपनी बात कहने की जरूरत है कनकमाता
isko kya hm hindi me bhi padh sktein hai daily
जय माता लक्ष्मी आपकोकोटि कोटि प्रणाम
हे मां गलती क्षमा कर दो हे मां मेरी रक्षा करो हे मां गलती क्षमा कर दो।
Wah…… Bahut khub …. 🙏 Hum log sanskrit me pad the hai…. 🙏🙏
Jai maa Lakshmi ji ki jai ho
❤️🙏 jai shree Laxmi Mata ki Jai ❤️🙏
👃sir thank you ap ke baat ko dil ko chu lata ha
माता कामाख्या की जय
Jai Mata laxmi devi
Om shree laxmi narayan ji ki jai ho 🌹🙏
Jai maa Lakshmi 🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏🌷🌷🙏❤
जय मां लक्ष्मी जय मां लक्ष्मी
जय मां लक्ष्मी जय मां लक्ष्मी
जय मां लक्ष्मी जय मां लक्ष्मी
jai shree Ganesh or shree Lakshmi maa 🙏🙏
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Jay mata Maha Laxmi..
Jai Mahalaxmi Mata 🙏