Narayan Suktam Arth Sahit in Hindi

नारायण सूक्त का ऐसे करे पाठ मिलेगा बह्मज्ञान और होगा सभी दुखों का अंत ॥ Narayan Suktam Arth Sahit in Hindi

सूक्त

इस सूक्त के ऋषि नारायण, देवता आदित्य पुरुष और छन्द भूरिगार्षी त्रिष्टुप, निच्यृदार्षी त्रिष्टुप् एवं आर्ष्यनुष्टुप् है। इस सूक्त में मात्र 6 ही मन्त्र हैं। शुक्ल यजुर्वेद में पुरुष सूक्त के १६ मन्त्रों के अनन्तर इसके 6 मन्त्र प्राप्त होते हैं। इसे “उत्तर नारायण सूक्त” के नाम से भी जानते है। इसमें सृष्टि के विकास के साथ ही व्यक्ति के कर्तव्यो का बोध हो जाता है, साथ ही आदिपुरुष की महिमा का भी पता चलता है। इसकी विशेषता यह है कि इसके मन्त्रों को जो भी जानता है उसके वश में सभी देवता रहते हैं। इस सूक्त को अनुवाद सहित यहाँ निचे प्रस्तुत किया जा रहा है-

नारायण सूक्त अर्थ सहित॥ Narayan Suktam Arth Sahit in Hindi

अद्भ्यः सम्भृतः पृथिव्यै रसाच्च विश्वकर्मणः समवर्तताग्रे।
तस्य त्वष्टा विदधद्रूपमेति तन्मर्त्यस्य देवत्वमाजानमग्रे॥१॥
अर्थ- पृथ्वी आदि की सृष्टि के लिये अपने प्रेम के कारण वह पुरुष जल आदि से परिपूर्ण होकर पूर्व ही छा गया। उस पुरुष के रूप को धारण करता हुआ सूर्य उदित होता है, जिसका मनुष्य के लिये प्रधान देवत्व है॥१॥

वेदाहमेतं पुरुषं महान्तमादित्यवर्णं तमसः परस्तात्।
तमेव विदित्वाति मृत्युमेति नान्यः पन्था विद्यतेऽयनाय॥२॥
अर्थ- मैं अज्ञान अन्धकार से परे आदित्य-प्रतीकात्मक उस सर्वोत्कृष्ट पुरुष को जानता हूँ। मात्र उसे जानकर ही मृत्यु का अतिक्रमण होता है। शरण के लिये अन्य कोई मार्ग नहीं ॥२॥

प्रजापतिश्चरति गर्भे अन्तरजायमानो बहुधा वि जायते।
तस्य योनिं परि पश्यन्ति धीरास्तस्मिन् ह तस्थुर्भुवनानि विश्वा॥३॥
अर्थ- वह परमात्मा आभ्यन्तर में विराजमान है। उत्पन्न न होने वाला होकर भी वह नाना प्रकार से उत्पन्न होता है। संयमी पुरुष ही उसके स्वरूप का साक्षात्कार करते हैं। सम्पूर्ण भूत उसी में सन्निविष्ट हैं ॥३॥

यो देवेभ्य आतपति यो देवानां पुरोहितः।
पूर्वो यो देवेभ्यो जातो नमो रुचाय ब्राह्मये॥४॥
अर्थ- जो देवताओं के लिये सूर्य रूप से प्रकाशित होता है, जो देवताओं का कार्य साधन करने वाला है और जो देवताओं से पूर्व स्वयं भूत है, उस देदीप्यमान ब्रह्म को नमस्कार है॥४॥

रुचं ब्राह्मं जनयन्तो देवा अग्रे तदब्रुवन्।
यस्त्वैवं ब्राह्मणो विद्यात्तस्य देवा असन् वशे॥५॥
अर्थ- उस शोभन ब्रह्म को प्रथम प्रकट करते हुए देवता बोले- जो ब्राह्मण तुम्हें इस स्वरूप में जाने, देवता उसके वश में हों॥५॥

श्रीश्च ते लक्ष्मीश्च पत्न्यावहोरात्रे पार्श्वे नक्षत्राणि रूपमश्विनौ व्यात्तम्।
इष्णन्निषाणामुं म इषाण सर्वलोकं म इषाण॥६॥ (शु० यजुर्वेद)
अर्थ- समृद्धि और सौन्दर्य तुम्हारी पत्नी के रूप में हैं, दिन तथा रात तुम्हारे अगल-बगल हैं, अनन्त नक्षत्र तुम्हारे रूप हैं, द्यावा-पृथिवी तुम्हारे मुखस्थानीय हैं। इच्छा करते समय परलोक की इच्छा करो। मैं सर्वलोकात्मक हो जाऊँ, ऐसी इच्छा करो, ऐसी इच्छा करो॥६॥

॥ इति नारायण सूक्तम्‌ संपूर्णम्‌ ॥ Narayan Suktam Arth Sahit in Hindi End ॥

 

श्री नारायण सूक्त का पाठ कैसे करें? जानिए… Narayan puja kese kare? Narayan Suktam Arth Sahit in Hindi

नारायण सूक्त (Narayan Suktam Arth Sahit in Hindi) का वर्णन यजुर्वेद में मिलता है नारायण सूक्त का पाठ श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए जिससे भगवान नारायण जल्दी प्रसन्न होते हैं और पूजा करने वाले को ब्रह्मज्ञान प्रदान करते है। परबह्म ज्ञान की इच्छा रखने वालो को नारायण सूक्त का पाठ प्रतिदिन अवश्य करना चाहिए।

1. सर्व प्रथम सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने नित्य कर्म कर लेने के पश्चात स्नान आदि करके साफ कपड़े पहन ले।

2. अब जहां आप पूजा करना चाहते है वह स्थान साफ कर ले और वहां पर नारायण की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

3. नारायण को फूल और अन्य सामग्री जैसे- रोली, चावल, चंदन, हल्दी, केसर आदि चढ़ाएं और नारायण को भोग अवश्य लगाएं।

4. इसके बाद नारायण सूक्त  का पाठ करें और नारायण की आरती उतारे। नारायण की आरती आपको इस पोस्ट के नीचे मिल जाएगी।

5. अगर संस्कृत में नारायण सूक्त का पाठ न कर पाएं तो हिंदी में नारायण सूक्त का पाठ (Narayan Suktam Arth Sahit in Hindi) अच्छे से समझ कर करें। साथ ही साथ भगवान का ध्यान करें।

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नारायण सूक्त अर्थ सहित के लाभ (Narayan Suktam Benefits in Hindi) –

नारायण सूक्त के निम्न लिखित लाभ हैः- Narayan Suktam Arth Sahit in Hindi

1. नारायणसूक्त का पाठ करने से ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति होती है जिससे सभी दुखों का अंत हो जाता है।

2. नारायणसूक्त का नित्य पाठ साधक कि सोच और निर्णय लेने की क्षमता का अदभुत विकास होता है। जिससे वह अपनी बुरे समय में भी सही निर्णय लेता है।

3. नारायण सूक्त का नित्य पाठ करने से आत्म ज्ञान प्राप्त होता है।

4. नारायण सूक्त का नित्य नियमित रूप से पाठ करने वाला व्यक्ति को बह्मज्ञान की प्राप्ति होती है और वह इस मायावी संसार को छोडकर अंत समय में मोक्ष को प्राप्त करता है।

 

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8 thoughts on “नारायण सूक्त का ऐसे करे पाठ मिलेगा बह्मज्ञान और होगा सभी दुखों का अंत ॥ Narayan Suktam Arth Sahit in Hindi

  1. अत्यन्त आनन्ददायकम्, मनोहरम्। अनुवादम् पूर्णतः शुद्धम्। महानुभावेभ्यः कोटिशः प्रणामः।

  2. Devine chanting 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
    OM NAMO BHAGWATE VASUDEVAYA 🙏🏻💫💕

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