एक सवाल जो हमेशा से पूछा जाता है कि क्या सिंधु घाटी में स्थित हड़प्पा सभ्यता में वैदिक हिंदुत्व की जड़ें मिलती हैं?
हिसार जिले के गांव राखीगढ़ी में 4500 साल पुराने पांच मानव-कंकाल मिले थे। राखीगढ़ी में 1963 में पहली बार आर्कियोलोजिकल सर्वे आफ इंडिया ने यहां खुदाई शुरू की थी। पुणे की डेक्कन यूनिवर्सिटी इस पर अध्ययन कर रही है। राखीगढ़ी की खोज इतिहास भी बदल सकती है। वेद, हिंदू, हिंदुत्व, सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़े कई सवालों के उत्तर के लिए राखीगढ़ी की खोज काफी महत्वपूर्ण स्थान रखती है। ज्यादातर हिंदुत्व से जुड़ी किताबों (वेद) में सिंधु घाटी सभ्यता को वैदिक बताया गया है। अब तक मोहनजोदड़ो, हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल माना जाता था, लेकिन हरियाणा के हिसार जिले का राखीगढ़ी गांव ने उसे दूसरे नंबर पर ला दिया है।
इन कंकालों के सैंपल डीएनए टेस्ट के लिए दक्षिण कोरिया की सिओल नेशनल यूनिवर्सिटी भेजे हैं। डीएनए ऐसा अणु है जिसमें किसी जीव के जीवन, विकास एवं प्रजनन को निर्देशित करने की क्षमता होती है। डीएनए अर्थात डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड आनुवांशिकी जानकारी प्रदान करता है। यह टेस्ट कालखंड से लेकर उत्तराधिकार तक की सटीक जानकारी देता है।
DNA पर अध्ययन करने से पता चला है कि प्राचीन राखीगढ़ी के लोग में रहने वाले पूर्वजों और ईरान के खेतिहर लोगों के मिश्रित खून थे। यह भी दावा किया जा रहा है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोग पुराने द्रविड़ भाषाएं को बोलते थे। राखीगढ़ी से मिले डीएनए का सबसे निकटतम समानता दक्षिण भारत के आदिवासी जाति से मिलने की बात कही गई है।
आपको बता दें कि मोदी सरकार के सत्ता में आते ही भारतीय इतिहास को हिंदुत्व के नजरिए से देखने की शुरुआत हो गई थी। राखीगढ़ी में 2015 सें अबतक हुए जेनेटिक (आनुवंशिक) खोज के नतीजे जल्द ही साइंस जर्नल में प्रकाशित किए जाएंगे।