ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने कहा था कि पश्चिम बंगाल (West Bengal) में खेला होगा और खेला हुआ भी, बल्कि जबरदस्त खेला हुआ। नंदीग्राम (Nandigram) सीट पर ममता बनर्जी के साथ खेला हुआ और पूरे की पूरे पश्चिम बंगाल में ये खेला हुआ भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के साथ, बीजेपी (BJP) ने पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन तो किया, बल्कि कहीं बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन सरकार बनाने का जो सपना था वो टूट गया। तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) ने भी पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन किया और ममता बनर्जी तीसरी बार बंगाल की मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हो चुकीं हैं। यानी बंगाल में ‘दीदीगीरी’ का तीसरा दौर शुरू हो रहा है। दस साल तक राज करने वाली दीदी को बंगाल की जनता ने एक बार फिर पांच साल के लिए प्रचंड बहुमत के साथ बंगाल का सिंघासन सौप दिया। हालांकि, ममता बनर्जी के लिए ये चुनावी लड़ाई आसान नहीं थीं, बीजेपी ने पूरी घेराबंदी कर रखी थी। ममता के पार्टी के सेनानी एक-एक कर के बीजेपी (BJP) में जा रहे थे लेकिन संघर्ष की भट्टी में तप कर निकलीं ममता बनर्जी भी कहां हार मानने वाली थीं। बंगाल की लड़ाई में बीजेपी जहां तक गई जिस स्तर तक गई ममता बनर्जी ने अपनी शैली में उसका वहां तक पीछा किया। अगर बार-बार ममता ने खुद को स्ट्रीट फाइटर (Street Fighter) कहा तो अपने अंदाज से ये बार-बार साबित भी किया। बंगाल फुटबॉल का दीवाना है ये कौन नहीं जानता लेकिन इस एक फुटबॉल से सियासत का गोल भी किया जा सकता है, ये ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने कर के दिखाया। बीजेपी के हर चाल पर ममता बनर्जी ने मास्टर स्ट्रोक खेला।
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मास्टर स्ट्रोक नंबर-1 (व्हील चेयर पॉलिटिक्स)
बंगाल के इस चुनावी रण में ममता बनर्जी के पैर में प्लास्टर भी एक फेक्टर बन गया। दीदी ने जब व्हील चेयर (Wheel Chairs) के साथ घायल शेरनी वाला चाल चला तो सच में बंगाल में खेला हो गया। विरोध की राजनीति ने इसे राजनीतिक तमाशा कहा लेकिन जब खेला ही राजनीति का था। तब क्या कम और क्या ज्यादा, क्या सही और क्या गलत, जिसने दांव चला वो जीत गया। दरअसल, 10 मार्च को नंदीग्राम में नामांकन के दिन ममता बनर्जी के पैर में चोट लग गई। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पांव को कुचलने की कोशिश की गई। ममता के पांव पर प्लास्टर चढ़ गया और व्हील चेयर पर ही उन्होंने प्रचार किया। व्हील चेयर पर ही रैलियां कीं, रोड शो में भी वो व्हील चेयर पर ही रहीं। बीजेपी नेता उनके पांव के चोट पर सवाल उठाते रहें लेकिन ये ममता के लिए फायदे मंद रहा, उन्हें सहानुभूति के वोट मिले। व्हील चेयर पर बैठे-बैठे उन्होंने बंगाल में बीजेपी के पांव उखाड़ दिए।
मास्टर स्ट्रोक नंबर-2 (सॉफ्ट हिंदुत्व बनाम हॉर्ड कोर हिंदुत्व)
बीजेपी ने परिवर्तन के नारे की तरह ‘जय श्रीराम’ का उदघोष किया तो ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने स्थानीय सेंटीमेंट को लेते हुए हिंदुत्व की नई परिभाषा गढ़ दी। बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) जैसे हॉर्ड कोर हिंदुत्ववादी नेताओं को प्रचार के मैदान में उतारा तो ममता बनर्जी ने मंच पर ही चंडी पाठ कर के इसका जवाब दिया। तब बीजेपी ने इसका जमकर मखौल उड़ाया लेकिन अब जब नतीजे सामने है तो लगता है दांव ही सही लेकिन रणनीति अचूक थी।
मास्टर स्ट्रोक नंबर-3 (बंगाली बनाम बाहरी)
बंगाल में बीजेपी के खिलाफ ममता बनर्जी ने सबसे बड़ा जो मास्ट स्ट्रोक चला वो बंगाली बनाम बाहरी का ही था। बीजेपी इसके काट के लिए बंगाल के महापुरूषों के नाम लेती थी लेकिन दीदी के सामने ये काम नहीं आया। एक तरफ बीजेपी बंगाल वालों को सोनार बांगला का सपना दिखा रही थी तो दूसरी तरफ ममता बनर्जी ने चुनाव को बंगाली अस्मिता से जोड़ दिया था। बीजेपी को बाहरी साबित करने में ममता कामयाब रहीं। ममता बंगाल के लोगों को बताती रहीं कि बाहरी लोग बंगाल के संस्कृति को नहीं समझते और अगर वो चुनाव हार गई तो बंगाल को बाहर के लोग ही चलाएंगे। इसके बाद ममता ने चुनावी माहौल को अचानक अपने पक्ष में कर लिया।
मास्टर स्ट्रोक नंबर-4 (आक्रामक राजनीति का आक्रामक जवाब)
ममता बनर्जी को तो पहले से आक्रामक राजनीति के लिए जाना जाता है लेकिन बंगाल में बीजेपी जिस तरह से दीदी पर आक्रामक थी। उसके काट के लिए ममता ने अपनी तेबर और तीखी कर लीं और पूरे चुनाव प्रचार में ममता बनर्जी के यही तेवर रहे। किसी को भी बक्शा नहीं, फिर चाहे अमित शाह (Amit Shah) हो या खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Naredra Modi), बीजेपी के एक-एक हमले का उसी अंदाज में तीखा से तीखा जवाब दिया।
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मास्टर स्ट्रोक नंबर-5 (ममता की लोकप्रिय योजना)
लोकलुभावन और कल्याणकारी योजनाएं ममता को बंगाल की सत्ता बचाने में मददगार साबित हुई। बीजेपी के पास ममता बनर्जी की उन योजनाओं की कोई काट नहीं थी जिनमें महिलाओं पर फोक्स किया गया। फिर चाहे वो कन्या श्री (Kanyashree Prakalp Scheme) योजना हो, जिसमें बेटियों के पढ़ाई के लिए एकमुश्त 25 हजार मिलते है या फिर रूपश्री योजना (Rupashree Prakalpa Scheme 2021) जिसमें कम उम्र में बेटी की शादी ना करने पर गरीब परिवारों को शादी के लिए एकमुश्त 25000 रुपए मिलते हैं। हालांकि ये बात अलग है कि ‘कट मनी’ के आरोपों को लेकर बीजेपी ने ममता पर खूब हमले किए लेकिन इसके बावजूद और इन योजनाओं से हुए फायदे की वजह से जनता ने एक बार फिर दीदी पर ही भरोसा किया। इन सब के अलावा पश्चिम बंगाल (West Bengal) में ममता बनर्जी का लोकप्रिय होना, बंगाल में उसके कद का दूसरा नेता न होना और देश की इकलौती महिला मुख्यमंत्री होना ये सारी बाते भी दीदी के पक्ष में गई।