Corona epidemic

Coronavirus: जानिए कोरोना से जंग में कौन-कौन से देश भारत की मदद कर रहे हैं

कोरोना भारत

दुनिया में जब भी कोई संकट आया है सबसे पहले भारत ने मदद की है। आज संकट भारत पर है और मदद की बारी दुनिया की है और इस बात को दुनिया भी समझती है। दुनिया का बड़े से बड़ा और छोटे से छोटा देश भारत की मदद के लिए हाथ बढ़ा रहा है। इससे एक उम्मीद बढ़ी है, हौसला बढ़ा है कि हर तरफ से हाथ बढ़ेंगे तो इस संकट से हम निकल जाएंगे। भारत में कोरोना वायरस (Corona virus) से हाहाकार मचा तो दुनिया ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया। अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और इजराइल जैसे देश यूरोपियन यूनियन (European Union) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) सभी ततकाल मदद का ऐलान कर दिय़ा। मंगलवार को ब्रिटेन से वेंटिलेटर और अन्य मेडिकल उपकरण लेकर विमान दिल्ली पहुंचा। ब्रिटेन (Britain) के विदेश सचिव डॉमिनिक राब (Dominic Raab) ने कहा कि ब्रिटेन इस महासंकट में भारत के साथ खड़ा है। महासंकट में फंसे भारत की तस्वीरें देखकर पूरी दुनिया बेचेन हैं। ऑक्सीजन का संकट हो या दवाइयों का संकट या फिर मेडिकल उपकरणों का संकट दुनिया में जिससे जो मुमकिन हुआ है वो मदद भेज रहा हैं।

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किन देशों से भारत को क्या मिली मदद ?

आयरलैंड (Ireland) से 700 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर, एक ऑक्सीजन जेनरेटर और 365 वेंटिलेटर भारत आ रहे हैं। बेल्जियम (Belgium) रेमडेसिविर (Remdesivir) की 9000 डोज भेज रहा है। स्वीडन (Sweden) से 120 वेंटिलेटर (Ventilators) आ रहे है। रोमानिया से 80 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर और 75 ऑक्सीजन सिलेंडर (Oxygen Cylinder) आ रहे हैं। लक्जमबर्ग (Luxembourg) वेंटिलेटर भेज रहा है। पुर्तगाल (Portugal) 5500 रेमडेसिविर वॉयल और 20 हजार लीटर ऑक्सीजन हर हफ्ते भेजेगा। फ्रांस (France) ऐसे आठ ऑक्सीजन जेनरेटर भेज रहा है जिन से 250 बेड के एक अस्पताल को करीब 10 साल तक ऑक्सीजन सप्लाई मिल सकेगी। फ्रांस से 28 वेंटिलेटर और ऑक्सीजन के ऐसे पांच कंटेनर भी आ रहे हैं जिनसे हर दिन 10 हजार मरीजों के लिए ऑक्सीजन सप्लाई हो सकेगी। थाईलैंड (Thailand) जैसे देशों से दिल्ली के लिए ऑक्सीजन टेंकर और प्लांट भेजे गए है। सिंगापुर (Singapore) जैसे देश तो पहले ही मदद में जुट चुके है। 250 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर (Oxygen Concentrator) और इलाज के दूसरे समानों की खेप दो दिन पहले ही भारत पहुंच गई। सऊदी अरब (Saudi Arabia) से 80 मीट्रिक टन ऑक्सीजन (Oxygen) लाई जा रही है। ऑक्सीजन को भेजने का काम लिंडे कंपनी और अडानी समूह के सहयोग से हो रहा है। रूस (Russia) ने भी रेमडेसिविर (Remdesivir) की खेप भारत को भेजने की पेशकश की है। यूएई (UAE) जैसे देशों ने भी कहा कि वो भारत के साथ मजबूती से खड़े है। वहीं चीन (China) और पाकिस्तान (Pakistan) जैसे देश ने भी भारत को मदद की पेशकश की है।

मदद को आगे आया WHO

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने भारत की स्थिति को लेकर चिंता जताते हुए कहा  ‘जो कुछ भी हो सकता है, संगठन कर रहा है। हम भारत को इलाज के लिए महत्वपूर्ण उपकरण और जरूरी सामग्रियों की आपूर्ति कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि संकट से निपटने में भारत की मदद के लिए WHO ने 2,000 से ज्यादा एक्सपर्ट को भारतीय स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ काम करने के लिए ट्रांसफर किया है। WHO ने कहा कि संगठन भारत को जो सामग्रियां भेज रहा है उनमें हजारों की संख्या में ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर, प्रीफैब्रिकेटेड मोबाइल फील्ड अस्पताल और प्रयोगशाला से जुड़ी चीजें हैं।

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भारत को मिला अमेरिका (United States) का साथ

कोरोना के खिलाफ भारत के संघर्ष में अमेरिका (America) भी अब साथ दे रहा है। जहां एक तरफ भारत को अमेरिकी मदद मिलनी शुरू हुई है, वहीं दूसरी तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से फोन पर बात हुई है। बाइडेन से फोन पर बात करने के बाद प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा कि ‘राष्ट्रपति बाइडेन से सार्थक बातचीत हुई। हमने दोनों देशों में कोविड के हालात पर विस्तार से बात की है। मैंने राष्ट्रपति बाइडेन को अमेरिका से भारत को मिले समर्थन के लिए धन्यवाद भी दिया है’ दरअसल, बाइडेन का भारत को मदद के लिए आगे आना कोरोना काल के कुटनीति के मद्दे नजर काफी अहम है। भारत में कोरोना से हाहाकार मचने के बावजूद अभी पिछले हफ्ते तक भारत में वैक्सीन निर्माण के लिए अहम कच्चे माल तक को भेजने से अमेरिका ने साफ मना कर दिया था। जिसके बाद भारत में सोशल मीडिया पर बाइडेन के खिलाफ खुब गुस्सा दिखा था। लेकिन एनएसए (NSA) अजीत डोभाल (Ajit Doval) और अमेरिका के एनएसए की बातचीत के बाद अमेरिका का रुख बदल गया। ना सिर्फ वैक्सीन निर्माण के लिए कच्चा माल भेजने पर अमेरिका राजी हुआ बल्कि कोरोना के इस संकट में हर संभव मदद की बात अमेरिका के तरफ से कही गई। अब बाइडेन से बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैक्सीन निर्माण के लिए सप्लाई चेन पर सीधी बातचीत की हैं। इस बातचीत के बाद अमेरिका ने संकेत दिए है कि वैक्सीन निर्माण के लिए कच्चा माल के अलावा ऑक्सीजन, रेमडेसिविर (Remdesivir) और टेस्ट किट (Test Kit) जैसी मदद भारत को मुहैया कराएगा। ऐसे में सवाल उठता है कि एक हफ्ते पहले तक मदद से मुंह मोड़ने वाला अमेरिका अचानक क्यों भारत को लेकर दरियादिली दिखाने लगा। इसके कई कारण है माना जा रहा कि अमेरिका के रुख में बदलाव भारत की मदद के लिए चीन और रूस के आगे आने के बाद आया है। जिस तरह चीन और रूस ने भारत को मदद का प्रस्ताव दिया उससे अमेरिका के तेवर अचानक से बदल गए। वैक्सीन उत्पादन के लिए भारत को कच्चे माल नहीं देने के फैसले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बाइटेन के अपने ही देश में काफी दबाव पड़ा। भारत की तरफ से भी एनएसए (NSA) अजीत डोभाल ने बाइडेन प्रशासन के सामने इस मामले को उठाया गया। जिसके बाद अमेरिका के रुख में बदलाव आया। खैर जो भी हो ये भारत की कूटनीतिक जीत है।

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