पश्चिम बंगाल चुनाव (West Bengal Election) में मिली करारी हार के झटके से बीजेपी (BJP) अभी उबर भी नहीं पाई थी कि यूपी में भी बीजेपी (BJP) लिए खतरे की घंटी बज गई। दरअसल, उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पंचायती चुनावों की जब मतपेटियां खुली तो उस में से जनता का चौंकाने वाला फैसला सामने आया। यूपी की राजनीति में अब तक बैक सीट पर बैठी समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की तो जैसे लॉटरी ही निकल गई। चार साल बाद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की समाजवादी पार्टी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के सामने राजनीतिक तौर पर पहली बार बढत मिली। बीएसपी (BSP) के लिए भी अच्छी खबर थी लेकिन इन नतीजों से राज्य की सत्ता में बैठी बीजेपी (BJP) को तगड़ा झटका लगा है। यूपी के 75 जनपदों की कुल 3050 सीटों पर हुए पंचायत चुनाव (UP Panchayat Election) में समाजवादी पार्टी समर्थित उम्मीदवार, बीजेपी समर्थित उमीदवारों से बाजी मार गई। हालांकि, किसी भी पार्टी को इस चुनाव में पूर्ण बहुमत नहीं मिला। उत्तर प्रदेश के जिला के जिन 3050 पदों के लिए चुनाव हुए थे, उन में से समाजवादी पार्टी समर्थित उम्मीदवारों को 747 सीटों पर जीत मिली है, जबकि बीजेपी समर्थित उम्मीदवारों को 690 सीटें ही मिल सकी है। इसके अलावा बीएसपी समर्थित उम्मीदवारों को 381 सीटों पर जीत हासिल हुई है तो कांग्रेस को 76 सीटें जीतने में कामयाबी मिली है। वहीं निर्दलीयों और अन्य को 1156 सीटें मिली है।
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पंचायत का चुनाव, बीजेपी को तनाव?
वैसे तो पंचायत चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल ने अपनी पार्टी का सिंबल प्रत्याशियों को नहीं दिया था लेकिन अपने पसंदीदा प्रत्याशियों को पार्टी ने समर्थन जरूर किया था और जीत हार के आंकड़े प्रत्याशियों के जीत हार की लिस्ट से ही बनाए गए है। ये देखते हुए कि किसको किस राजनीतिक दल ने समर्थन दिया था। समर्थन की लिस्ट और जीत हार की लिस्ट बताती है कि इस बार समाजवादी पार्टी बीजेपी से आगे निकल गई है। यूपी के पंचायती चुनावों पर किसान आंदोलन का असर भी साफ दिखा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Western Uttar Pradesh) में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल (Rashtriya Lok Dal) के गठबंधन ने बीजेपी को काफी पीछे छोड़ दिया है। पंचायत चुनाव में पार्टी की कामयाबी से गदगद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, “सभी जीते हुए प्रत्याशी और कार्यकर्ता स्वयं को सुरक्षित रखते हुए तत्काल समाज की यथासंभव मदद करने में लग जाएं। ये सेवा और सहयोग का समय है।“
सभी जीते हुए प्रत्याशी व कार्यकर्ता स्वयं को सुरक्षित रखते हुए तत्काल समाज की यथासंभव मदद करने मे लग जाएं।
ये सेवा और सहयोग का समय है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 4, 2021
हालांकि, अंतिम परिणाम आने से पहले ही बीजेपी (BJP) ने बहुमत तक पहुंचने का ऐलान कर दिया था। बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर से ये ट्वीट कर के जानकारी दी गई थी कि बीजेपी समर्थित 918 उम्मीदवार जीत चुके हैं और 557 उम्मीदवारों ने निर्णायक बढ़त बना रखी हैं। लेकिन जब आंकड़े सामने आए तो बीजेपी के पांवों के नीचे से जमीन खिसक गई।
जिला पंचायत सदस्य चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी भाजपा
918 सीटें जीतकर सबसे आगे भाजपा। pic.twitter.com/scJf12hC0h
— BJP Uttar Pradesh (@BJP4UP) May 3, 2021
अयोध्या, काशी और मथुरा में भी हारी बीजेपी
बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि उत्तर प्रदेश की तीन धार्मिक नगरी यानी अयोध्या, वाराणसी और मथुरा में भी उसे तगड़ा झटका लगा है। राम की नगरी अयोध्या (Ayodhya) में समाजवादी पार्टी (SP) ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी। अयोध्या में 40 जिला पंचायत सीटों में से 18 पर समाजवादी पार्टी समर्थित उम्मीदवारों ने कब्जा जमाया तो वहीं बीजेपी समर्थित उम्मीदवारों के खाते में महज 8 सीटें ही आई। जबकि बीएसपी (BSP) 4 सीटें और निर्दलीयों के हिस्से 10 सीटें आई है। बात सिर्फ अयोध्या की होती तो गनीमत थी। अयोध्या के बाद मथुरा (Mathura) में श्री कृष्ण जन्म भूमि (Shri Krishna Janmabhoomi) मंदिर का मुद्दा गरमाने में जुटी बीजेपी के कट्टरवादी नेताओं को मथुरा ने भी संदेश दे दिया है। मथुरा में जिला पंचायत की 33 सीटों के लिए मतदान हुआ था, जिसमें से बीएसपी ने 12 सीटों पर जीत हासिल की तो वहीं बीजेपी और समाजवादी पार्टी को 9-9 सीटें मिली है। जबकि निर्दलीयों के हिस्से 3 सीटें आई। उत्तर प्रदेश की तीसरी धर्म नगरी वाराणसी (Varanasi) से भी बीजेपी के लिए अच्छी खबर नहीं है। यहां भी समाजवादी पार्टी (SP) ने अपना दबदवा बनाया है। वाराणसी जिले में कुल 40 सीटों पर मतदान हुआ था जिसमें से समाजवादी पार्टी ने 17 सीटों पर जीत हासिल की जबकि बीजेपी को 8 सीटों पर संतोष करना पड़ा। वहीं कांग्रेस (Congress) ने पांच सीटों पर जीत हासिल की तो बीएसपी को तीन सीटें मिली। वाराणसी के एक सीट पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी खाता खोला, जबकि 6 सीटें अन्य के खाते में गई। यही नहीं सीएम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर में भी मुकाबला बराबरी का रहा। कुल 68 सीटों में से समाजवादी पार्टी और बीजेपी को 20-20 सीटें मिली। बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले इन शहरों में बीजेपी की हार इस वक्त सोशल मीडिया (Social Media) पर चर्चा का विषय बनी हुई है। खास कर अयोध्या, काशी और मथुरा के लिए लोग खुब चटखारे ले रहें हैं।
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दरअसल, इस वक्त यूपी पंचायत चुनाव (UP Panchayat Election) के नतीजों को कई तरह से देखा जा रहा है। इसमें कोरोना के हालात से लेकर पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में सवाल उठने लगे है कि क्या यूपी पंचायत चुनाव को विधानसभा चुनाव 2022 का सेमीफाइनल माना जाना चाहिए? हालांकि, बीजेपी इन चुनावों को स्थानिय चुनाव के नतीजे बता कर ये कहने की कोशिश कर रही है कि इन नतीजों को राज्य के चुनावी माहौल से नहीं जोड़ा जा सकता तो वहीं समाजवादी पार्टी इसे 2022 विधानसभा की झांकी करार दे रही है। बहरहाल, 8 महीने बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) होने है ऐसे में पंचायत चुनाव के नतीजे और कोई संकेत ना देते हो तो भी बीजेपी विरोधियों का उत्साह तो बढ़ ही गया।