अमेरिका, फ्रांस, ब्राजील और तुर्की दुनिया के सबसे संक्रमित इन चार देशों में एक दिन में कोरोना (Corona) के कुल जितने मामले सामने आए हैं। करीब उतने ही भारत में पिछले 24 घंटे में आ चुके है। ये बताता है कि भारत में कोरोना किस कदर बेकाबू हो चुका है। कोरोना से पूरे देश में एक बार फिर कोहराम मचा हुआ है। अस्पतालों में बिस्तर नहीं बचे हैं, श्मशान घाटों में चिता की लकड़ी नहीं बची है और कब्रिस्तानों में एडवांस में कब्रें खोद कर रखी जा रही है। क्योंकि कोरोना की वजह से मौत होना तय माना जा रहा है।
हे प्रभु क्या हो रहा है, रायपुर के अस्पताल में लाशों का अंबार, कोरोना का हाल जो देख और सुन रहें हैं उससे भी ज़्यादा भयावह है, ऐहतियात बरतना ज़रूरी, मास्क ज़रूरी और सही इस्तेमाल, पॉकेट में पैन की जगह सैनेटाइजर रखें, ज़रूरत के हिसाब से इस्तेमाल करें।#coronavirus #Corona #COVID19 pic.twitter.com/xnxSFxFs3I
— News Heights (@newsheights) April 13, 2021
कोरोना (Corona) की वजह से कई शहरों में फिर से लॉकडाउन तो कहीं नाइट कर्फ्यू लगा दी गई है, स्कूल कॉलेज फिर से बंद किए जा रहे हैं। काम-धंधा एक बार फिर चौपट हो गया है, एक बार फिर मजदूर घर लौटने को मजबूर हो रहे हैं। ये बात आपको डरावनी जरूर लग रही होगी, लेकिन आज की यही सच्चाई है और सच्चाई हमेशा कडवी होती है। देश भर में कोरोना पिछले बार से कहीं ज्यादा तेज रफ्तार में आगे बढ़ रही है। अब सवाल है कि कोरोना के इतने तेज रफ्तार का जिम्मेदार आखिर कौन है? आखिर क्यों पिछले साल जब पहली बार कोरोना आया था तब भी वो हाल नहीं हुआ जो अब हो रहा है। जवाब है हर तरफ हो रही लापरवाही, अब वो चाहे लोगों की हो, प्रशासन की हो या नेताओं की।
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दरअसल, ऐसे समय में जब कोरोना अपने पीक पर हो, तब देश की दो तस्वीरें हमें और डराती है। एक तरफ नेताओं की रैलियों में भीड़ का रेला और दूसरी तरफ कुंभ (Kumbh) में ऐसा जमावड़ा। इन दो तस्वीरों को पूरा देश साफ साफ देख सकता है और ये समझ सकता है कि हम कोरोना की इस नई लहर से कैसे लड़ रहे हैं। एक तरफ बेहिसाब भीड़ है तो दूसरी तरफ बेहिसाब बेफिक्री है। इस हालात में भी हमारे नेता बेफिक्र हैं। क्योंकि कुछ राज्यों में चुनाव जो है, ऐसा लग रहा है जैसे मानो चुनावी राज्यों में कोरोना की नो एंट्री हो। आखिर क्यों कोरोना काल में रैलियां करवाई जा ही है और हजारों की भीड़ जुटाई जा रही है। आखिर क्यों सड़क चलते लोगों को शासन, प्रशासन मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ पढ़ा रहे हैं और रैलियों में ये नियम-कानून ताक पर रख दिए जाते है। जबकि खुद पीएम मोदी ने पिछली बार ये नारा दिया था कि ‘जान है तो जहान है’ तो क्या अब ये बदल कर ‘सत्ता है तो जहान है’ रख देना चाहिए। क्या कोरोना चुनावी राज्यों में नहीं है। क्या पूछा नहीं जाना चाहिए कि सिर्फ स्कूल, कॉलेज, मॉल, सिनेमा हॉल के लिए ही कोरोना है या नेताओं से कोरोना भी डरता है। जब देश के जिम्मेदार लोग ही रहेंगे तो फिर आम लोगों से हम उम्मीद ही क्या कर सकते हैं।
कोरोना? मास्क? दो गज़ की दूरी? #COVID19 https://t.co/7j5Dj8Nlum
— richa anirudh (@richaanirudh) April 13, 2021
कोरोना की लहर में आस्था की डुबकी!
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जब देश में कोरोना कहर बनकर टूट रहा है तो आखिर क्यों लाखों लोग हरिद्वार में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। ये सवाल आस्था पर नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का है। भीड़ को रोकने के लिए जब तमाम शहरों में लॉकडाउन और कर्फ्यू लगाया जा रहा है तब हरिद्वार की सड़कों पर अखारों की जुलूस निकल रही है। हरिद्वार के कुंभ में भीड़ इस तरह जुट रही है जैसे मानो कोरोना यहां है ही नहीं, जबकि सच तो ये है कि ये भीड़ अगले कुछ दिनों में कोरोना विस्फोट का एक और कारण बनने वाली है। क्योंकि हरिद्वार के कुंभ मेला अधिकारी के मुताबिक शाही स्नान से ठीक पहले इस भीड़ में मौजूद कई साधु कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं। इनमें अखारा परिषद के अध्यक्ष महंत महेंद्र गिरि का भी नाम है। कई साधु-संतों की रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। दावे तो बहुत किए गए की संक्रमण को रोकने के लिए हर प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है, हर तरह की व्यवस्था की गई है, पूरी सावधानी बरती जा रही है। लेकिन जरा सोचिए, जहां लाखों लोग मौजूद हो वहां ये सिर्फ कहने वाली ही बातें लगती है। यहां कोई भी व्यवस्था फेल हो जाएगी, फिर चाहे इंतजाम कैसे भी हो। लेकिन वहां जाने के बाद आपको पता चलेगा कि वहां ना कोई सख्ती, ना किसी को डर, ना मास्क और ना कोई सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहा है।
What you are seeing is not KUMBH MELA but it’s a CORONA ATOM BOMB ..I wonder who will be made accountable for this VIRAL EXPLOSION pic.twitter.com/bQP9fVOw5c
— Ram Gopal Varma (@RGVzoomin) April 13, 2021
आकड़े सुनकर आप हैरान हो जाएंगे। यहां दो-चार लाख लोगों ने नहीं, बल्कि यहां 12 अप्रैल को पहले शाही स्नान में 21 लाख लोगों ने डुबकी लगाई। आप चाहे जितनी व्यवस्था कर लीजिए, जहां इतने लोग इकठ्ठा हो, क्या वहां संक्रमण का खतरा नहीं होगा। प्रशासन और कुंभ के कर्ता धर्ता भी बेबस हैं। यहां लोग ही इतने आ रहे हैं कि कोई ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकता। लेकिन सवाल तो ये है कि क्या कोरोना को देखते हुए आयोजन को सीमित नहीं किया जा सकता था। लाखों की भीड़ ही क्यों आने दी गई, वो भी तब जब पूरे देश में कोरोना की दूसरी लहर चरम पर हो और वो भी पहले से कहीं ज्यादा संक्रामक है। आस्था अपनी जगह है और महामारी का संकट अपनी जगह।