अयोध्या में मस्जिद के ढांचे ने खुद वहां पर राम मंदिर होने के सबूत पेश किए । अयोध्या में राम जन्मभूमि विवादों के घेरे में शुरू से ही रही है अगर इतिहासकारों की माने तो इतिहास मे भी कई बार इस जन्म भूमि पर हिंदुओं को पूजा करने का हक मिला है। परंतु हर बार समुदायों की आपसी लड़ाई में इस भूमि पर विवाद उत्पन्न हो जाता है या कुछ लोग अपने हित के लिए इस भूमि पर विवाद उत्पन्न कर रहे हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं आज यह विवाद कोर्ट में विचाराधीन है और कोर्ट इस मामले पर कह रहा है कि राम जन्मभूमि के मुद्दे को हिंदुओं की आस्था से नहीं बल्कि एक भूमि विवाद के नजरिए से देखा जाएगा। यही नहीं अब तो बौद्धों के द्वारा भी इस भूमि को अपना अधिकार बताया जा रहा है रहा है। परंतु अब जो सबूत कोर्ट को मिले हैं उसके सब दूध का दूध और पानी का पानी हो गया है इन सबूतों से यह स्पष्ट हो गया है कि यह राम जन्मभूमि है जिसके ऊपर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया।
अयोध्या में अब तक जांच के लिए दो बार खुदाई का काम हो चुका है। पहली बार खुदाई सन 1977 में हुई थी और दूसरी बार खुदाई सन 2003 में हुई थी। सवाल दोनों बार एक ही था, मस्जिद के नीचे मंदिर है या नहीं, मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई या नहीं। आपको बता दें पहली बार जब 1977 में इस भूमि की खुदाई हुई थी तब यहां बाबरी मस्जिद हुआ करती थी। परंतु जब दूसरी बार सन 2003 में यहां पर खुदाई हुई तब बाबरी मस्जिद जमींदोज हो चुकी थी।
करीब 40 वर्ष पूर्व राम मंदिर की खोज में अयोध्या में की गई पहली खुदाई के दौरान ASI के चीफ प्रोफेसर बीबी लाल थे। ASI की पूरी टीम को अपनी खोज के दौरान एक बड़ी कामयामी मिली, उन्हें राम मंदिर के पूरे 14 मंदिर के पिलर बेस मिले। काले पत्थर के इन सभी मंदिर के पिलर बेस पर हिन्दू पूजा पद्धति के चिन्ह भी साफ-साफ दिख रहे है और साथ ही सभी पिलर बेस पर हिन्दू भगवान की मूर्ति भी बनी हुई है। 1977 में मस्जिद के नीचे मिले सभी मंदिर के पिलर बेस एक समान व बराबर दूरी पर थे। इस तरह के पिलर बेस का इस्तेमाल और उसकी सरंचना मंदिरों में मंडप बनाने के लिए की जाती थी। उस समय बाबरी मस्जिद होने के कारण ज्यादा खुदाई नहीं की जा सकी।
साल 2003 में हाई कोर्ट के आदेश के बाद पर फिर मंदिर को खोजने की प्रक्रिया शुरू की गई और एक बार फिर से खुदाई की गई। इस बार खुदाई करने वाली टीम ASI टीम का नेतृत्व अफसर बी आर मणि ने किया। चूंकि इस बार की खुदाई के समय बाबरी मस्जिद पूरी तरह से जमींदोज हो गई थी इसलिए इस बार खुदाई अहम् तौर पर वहां की गई जहां मस्जिद खड़ी थी। खुदाई में सबसे पहले पिलरबेस मिले। 1977 में 14 पिलरबेस मिले थे लेकिन 2003 में 85 पिलरबेस मिले। इन 85 पिलर बेस से ये बात साफ हो गई कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया था और मंडप के खंभों को तोड़ पर उस जमीन को समतल कर दिया गया।
बाबरी मस्जिद के नीचे से भगवान राम के मंदिर के सबूत मिलने अभी तो शुरू हुए थे। ऐसा हुआ मानो अयोध्या की जमीन खुद राम के सबूत पेश कर रही हो। उमामहेश्वर की मूर्ति जिसके हाथ में त्रिशूल है, कुबेर की मूर्ति, देवी-देवताओं की मूर्ति, भगवान शिव का वाहन नंदी, पत्थरों पर मौजूद कमल की आकृति आदि कई और सबूत मिले। इन सभी पुरातत्वों को उसी विवादित हिस्से की खुदाई कर निकाला गया जहां राम मंदिर औऱ बाबरी मस्जिद का विवाद चल रहा है। अब ये समझना बेहद कठिन था कि एक मस्जिद की जमींन के नीचे हिन्दू भगवानों की मूर्तियां क्यों है? इतने सारे सबूत मिल रहे हैं। लेकिन फिर भी हिन्दुओं कि आस्था को मुद्दा बनाकर कोर्ट में घसीटा जा रहा है।
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It’s a massive development to find a god’s idol in his own land. The way we are heading, it’s going to be a massive development to find a Hindu scripture in the coming century. We never learn. We are literally begging them to hear us.