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परीक्षा पर कोरोना हुआ हावी

कोरोना भारत राजनीति

परीक्षा एक student के लिए कितना महत्व रखता यह तो सभी को पता है लेकिन वर्तमान समय में हमे यह पता है कि कोरोना को कहर अब और भी ज्यादा होने लगा है। जगह जगह वापस से night curfew और weekend lockdown लगने लगे है। राजधानी दिल्ली की हालत अब दिन पर दिन बिगङती जा रही है, देश मे एक दिन में लाखो कोरोना के केस देखने को मिल रहे है। अस्पतालों में तो अब बेड, ऑक्सीजन एवं वैक्सिन की कमी होने लगी है। कोरोना का प्रकोप इतना बढ गया है कि वापस से स्कूल कॉलेजो को बंद करना पङ रहा है। यही नही बच्चो के परीक्षा तक रद्द करनी पङ गयी है।

परीक्षा रद्द करना सही निर्णय है?

कोरोना के बढते केस को देखकर सरकार ने परीक्षा को रद्द करने का आदेश दे दिया है। रद्द करने के अलावा कोई दूसरा उपाय है नही क्योकि वैक्सिन लगने के बाद भी लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे है। इस कठिन समस्या में परीक्षा रद्द करने के अलावा सरकार के पास दूसरा कोई उपाय भी नहीं है। हालांकि online mode पर परीक्षा कराया जा सकता है पर इसके लिए भी advanced गजेट्स की आवश्यकता होती है तो की इतने बच्चो के लिए arrange कर पाना मुशकिल है बस कुछ गिने चुने ही institutions होगे जहाँ ऐसा करना possible हो।

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परीक्षा पर सरकार का निर्णय

दिल्ली में बढते कोरोना केस के वतह से दिल्ली सरकार ने केन्द्रीय सरकार से CBSE board के दसवीं एवं बारहवीं की परीक्षा को फिलहाल रद्द करने करने की गुहार लगाई और June के बाद ही कोई निर्णय लेने का तय किया गया। सरकार ने CBSE board के साथ साथ अन्य state boards से भी परीक्षा रद्द करमे की गुहार लगाई। वहीं दूसरी तरफ पंजाब सरकार ने 5th, 8th और 10th क्लास के बच्चो को बिना पेपर दिए ही प्रमोट करने का निर्णय लिया। राजस्थान सरकार ने भी 10वीं एवं 12वीं की परीक्षा रद्द कर दिया एवं 8वीं, 9वीं और 11वीं की बच्चो को बिना परीक्षा के ही प्रमोट करने का decision लिया है।

क्या बच्चो को बिना परीक्षा के पास करना सही निर्णय होगा?

कोरोना जैसे इस संकट से बचने का और दूसरा उपाय है नहीं, परीक्षा स्थगित करना ही फिलहाल एक मात्र उपाय है। पर इससे बच्चो को काफी नुकसान भी है क्योकि इससे तो वे कुछ सीख ही नहे पाएगे और बार बार ऐसा करने से उनके अंदर से पढाई करने की रुचि कम होती जाएगी और deserving बच्चो का मनोबल भी टूट सकता है। 10वीं एवं 12वीं के परीक्षा अपना अलग ही महत्व होता है, क्योंकि यह बच्चो के लिए वह पङाव होता है जहाँ से वे अपनी career के बारे में सोचना शुरु करते है। यह वह सफर होता है जहाँ से बच्चे अपने रुचि के हिसाब से विषय चुनते है। 12वीं के बाद ही बच्चे मेडिकल, इंजीनियरिंग, सीए या फिर कॉलेज यह सब 12वीं के रिजल्ट पर ही निर्भर करता है। परीक्षा के रद्द होने के वजह से इन सब में भी देर होगी।

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सबसे महत्वपूर्ण बात online classes में कुछ बच्चे जल्दी सीख भी नही पाते है और तो और practical की क्लास online कराना सम्भव नहीं होता है। कोरोना की वजह से education system पर बहुत गंदा असर पङा है। इसके वजह से बच्चो का पढाई से मन भी हटने लगा है, ऐसे बहुत से बच्चे है जिन्हें परीक्षा से डर लगता उनको तो मानो जैसे लॉटरी लग गयी हो, पढाई न करने की। यही ऐसा ही चलता रहा तो कोई भी बच्चा पढाई में रुचि नहीं दिखाएगा। जल्द से जल्द इस समस्या को सुलझाना होगा और बच्चो का भविष्य खराब न हो इसके लिए कोई न कोई महत्वपूर्ण कदम उठाने पङेगे।

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