कोरोना (Corona) से हाहाकार है, वैक्सीन की लंबी कतार है, इलाज में सिस्टम लाचार है लेकिन जमकर सियासी वार पलटवार है। देश इस वक्त कोरोना संकट का सामना कर रहा है और राजनीतिक पार्टियां इस महामारी से लड़ने की वजह तू तू मैं मैं में उलझी है। कोरोना काल की राजनीति में चिट्ठियां अब हथियार बन गई है। दूसरी लहर में मचे हाहाकार और अब वैक्सीन के लिए मारामारी के बीच चिट्ठियों से बाजी खेली जा रही है। पक्ष विपक्ष लगातार चिट्ठियों के जरिए वार पलटवार कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाधी (Sonia Gandhi) समेत 12 विपक्षी दलों (Opposition Party) के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को चिट्ठी लिखकर 9 सुझाव दिए हैं। जिसमें चार राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल है तो आईए पहले आपको बताते है वो 9 सुझाव क्या है।
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विपक्ष का पीएम मोदी (PM Modi) को 9 सुझाव
1- वैश्विक और घरेलू सभी स्त्रोतों से केंद्रीय तौर पर वैक्सीन (Vaccine) खरीदिए।
2- पूरे देश में तुरंत सभी का मुफ्त टीकाकरण (Vaccination) शुरू करें।
3- वैक्सीन प्रोडक्शन (Vaccine Production) बढ़ाने के लिए कंपल्सरी लाइसेंसिंग लागू करें।
4- बजट में आवंटित 35000 करोड़ रुपयों से वैक्सीन खरीदी जाए।
5- नए संसद भवन सेंट्रल विस्टा (Central Vista) का निर्माण रुके और उस पैसे से ऑक्सीजन (Oxygen), वैक्सीन आदि खरीदे जाएं।
6- पीएम केयर्स (PM CARES Fund) और निजी ट्रस्ट में जमा अघोषित पैसे का इस्तेमाल ऑक्सीजन और मेडिकल उपकरण खरीदने में खर्च हो।
7- सभी बेरोजगारों को कम से कम हर महीने 6 हजार रुपया दिए जाएं।
8- जरुरतमंदों को मुफ्त राशन दिया जाए।
9- कृषि कानूनों को रद्द कर अन्नदाताओं को महामारी का शिकार बनने से रोका जाए।
किन नेताओं ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
चिट्ठी लिखने वाले नेताओं में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar), शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray), टीएमसी सुप्रीमो और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जेडीएस नेता एचडी देवगौड़ा (H. D. Deve Gowda), डीएमके नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (MK Stalin), जेएमएम नेता और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, जेकेपीए नेता फारुख अब्दुल्ला (Farooq Abdullah), समाजवादी पार्टी के नेता और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav), आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav), सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी (Sitaram Yechury) और सीपीआई के नेता डी. राजा (D Raja) जैसे बड़े दल के नेता शामिल हैं।
चिट्ठी की 9 मांगों के साथ-साथ इसकी भाषा ऐसी है कि राजनीतिक तूफान छिड़ना निश्चित है। चिट्ठी की शुरूआत ही इस तरह से की गई है। चिट्ठी में विपक्षी दलों द्वारा आरोप लगाया गया है कि हमारे पहले के सुझावों को या तो नजर अंदाज किया गया या मानने से इनकार किया गया। चिट्ठी में लिखा गया कि इससे सर्वनाश करने वाली मानवीय त्रास्दी की परिस्थिति बनी। चिट्ठी में सीधा आरोप लगाया गया है कि केंद्र सरकार (Central Government) की अनदेखी से देश इस दुखद स्थिति में पहुंचा। विपक्षी नेताओं के इस साझा चिट्ठी (Opposition Leader Letter) से पहले बीजेपी (BJP) अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने कांग्रेस अध्यक्ष (Congress President) सोनिया गांधी को चिट्ठी लिख कर कांग्रेस के रवैये पर सवाल उठाए थे। नड्डा ने एक तरह से सोनिया के उस हमले का जवाब दिया था जिसमें उन्होंने सीडब्ल्यूसी (CWC) में कहा था कि सिस्टम नहीं फैल हुआ, सरकार फैल हुई है। सोनिया ने भी चिट्ठी लिख कर प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) को घेरा था। उसी के जवाब में नड्डा ने चिट्ठी लिख कर कांग्रेस पार्टी (Congress Party) और सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) पर हमला किया। चिट्ठी में नड्डा ने कहा, महामारी में कांग्रेस के रवैये से दुखी हूं लेकिन हैरान नहीं। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) समेत कांग्रेस नेता छल और तुच्छता के लिए जाने जाएंगे। भारत पूरी हिम्मत के साथ कोविड-19 (Covid-190 से लड़ रहा है लेकिन कांग्रेस को बवंडर खड़ा कर लोगों को गुमराह नहीं करना चाहिए। भारत में वैक्सीन को लेकर उदासीनता कभी नहीं रही लेकिन 100 सालों में आई इतनी बड़ी महामारी में कांग्रेस ने वैक्सीन को लेकर भड़काया। फरवरी-मार्च के आंकड़ों से साफ है कि कौन से राज्य कोविड नहीं संभाल सके। पंजाब जैसे राज्यों में मृत्यु दर ज्यादा क्यों है। पीएम मोदी विज्ञान और संघीय ढाचे के अनुरुप कोरोना महामारी से निपट रहे हैं। नड्डा ने कोरोना पर सोनिया को पहली बार चिट्ठी लिखी।
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इससे पहले सोनिया एक बार और राहुल गांधी दो बार प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिख कर सरकार पर हमले कर चुके हैं। पिछले महीने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी पीएम मोदी को चिट्ठी लिख कर सरकार के कोरोना नीति पर सवाल खड़े किए थे। तब मनमोहन सिंह को जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री (Health Minister) डॉ. हर्ष वर्धन (DR. Harsh Vardhan) ने कहा था कि कांग्रेस नेताओं को राजनीति ना करने को कहे। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) से लेकर बंगाल के सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के बयानों और चिट्ठियों पर हंगामा हो चुका है। दरअसल, विपक्ष लगातार कोरोना की तैयारियों को लेकर सरकार पर सवाल खड़े कर रहा है वहीं राज्य और केंद्र सरकार के बीच तैयारी और इंतजामों को लेकर खींचतान जारी है। यानी सियासत और कोरोना की ये लड़ाई साथ चल रही है। जनता बेहाल है अस्पतालों का बुरा हाल है। कहीं ऑक्सीजन नही है तो कोई वैक्सीन के लिए गुहार लगा रहा है। लेकिन देश चलाने वाले हमारे नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने में व्यस्त हैं। लेकिन क्या करें इस देश की समस्याएं अक्सर सियासत में जान बूझ कर उलझा दी जाती है और यही कोरोना माहामारी (Corona Epidemic) में भी हो रहा है। कोरोना अगर राजनीति के तीखें शब्दों से ठीक हो जाता तो कब का ये देश कोरोना मुक्त हो गया होता। लेकिन कोरोना एक विजन मांगता है और मजबूत इच्छा शक्ति लेकिन आज कल राजनेता अपने राजनीतिक स्कोर ठीक करने में व्यस्त है। यही वजह है कि देश कोरोना से त्राहिमाम कर रहा है। जनता की परवाह न सरकार को चिंता है और ना ही विपक्ष को है।