देशभर में कोरोना वायरस की दूसरी लहर बेकाबू होती जा रही है। देश में अब हर दिन कोरोना के पॉजिटिव केस डेढ़ लाख से ज्यादा आ रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर ने ऐसी तबाही मचाई है कि 10 लाख से ज्यादा नए मामले पिछले 7 दिनों में दर्ज किए गए हैं। चिंता की बात यह है कि नए मामलों के साथ-साथ मौत का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है। 5908 कोरोना संक्रमितों ने पिछले सात दिनों में अपनी जान गंवा दी है। धीरे-धीरे हर राज्य में कोरोना एक बार फिर पांव पसार रहा है। लेकिन इस बीच कोरोना को मात देने को लेकर एक अच्छी खबर भी सामने आई है। दरअसल, खबर ये है कि देश में अक्टूबर तक पांच नए टीकों का इमरजेंसी इस्तेमाल शुरू हो जाएगा। सबसे पहला टीका जिसका इमरजेंसी इस्तेमाल शुरू होगा वो रूस के स्पुतनिक वी है। Covaxin और Covishield के बाद ये तीसरी वैक्सीन है, इसके साथ ही भारत दुनिया का 60वां ऐसा देश बन गया, जिसने स्पुतनिक वी (Sputnik V) को मंजूरी दी है।
दरअसल, भारत में इस समय कोवीशील्ड और कोवैक्सिन का इस्तेमाल हो रहा है। कोरोना का खौफ बढने के साथ ही लोग अब जल्द से जल्द वैक्सीन लगवाना चाहते हैं। जिस वजह से वैक्सीन की कमी अब महसूस हो रही है और इसी मुश्किल से निपटने के लिए सरकार ने सरकार ने अपनी रणनीति बदली है। इसके लिए नई वैक्सीन को मंजूरी दी जाएगी। इनमें हैदराबाद की कंपनी डॉ रेड्डी लेबोरेटरी के साथ साझीदारी वाली स्पुतनिक-V के अलावा भारत में कई अन्य वैक्सीनों पर काम चल रहा है, जो अभी विभिन्न चरणों में हैं। इनमें अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन तैयार कर रही है, एक और अमेरिकी कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ मिलकर नोवावैक्स वैक्सीन पर काम कर रही है, साथ ही जाइडस कैडिला और भारत बायोटेक की इंट्रानेजल वैक्सीन भी शामिल हैं तो आज हम आपको बताएंगे कि आने वाले दिनों में और कौन-कौन सी वैक्सीन आने वाली है और किसके साथ उसका करार है।
स्पुतनिक वी (Sputnik V) वैक्सीन
रूस के स्पुतनिक वी (Sputnik V) को काफी सुरक्षित माना जा रहा है और ये ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका के जैसे काम करता है जो भारत में कोविशिल्ड (Covishield) के रूप में बनाया जा रहा है. स्पुतनिक वी कोविड 19 के खिलाफ करीब 92 फीसदी सुरक्षा देता है। जबकि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (Covaxin) ने अपने ट्रायल में 81 फीसदी की एफेकसी हासिल की थी। वहीं सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की (Covishield) की एफेकसी 62 फीसदी है।
स्पूतनिक V, कोविशील्ड और कोवैक्सीन से कैसे अलग है
6-8 हफ्तों के अंतराल पर कोविशिल्ड की दो डोज दी जाती हैं। इसे रखने के लिए सब जीरो तापमान से कम की जरूरत नहीं है। वहीं, कोवैक्सीन की दो डोज 4-6 हफ्तों के अंतराल पर दी जाती हैं। इसे भी 2-8 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान पर स्टोर कर सकते हैं। जबकि, स्पुतनिक वी (Sputnik V) की दो डोज 3 हफ्तों के अंतराल पर दी जाती हैं, इसे भी 2-8 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच स्टोर किया जा सकता है। यानी यह वैक्सीन भी दो डोज में दी जाती है।
जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन
अमेरिका की कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने भी अपनी कोरोना वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल भारत में शुरू करने आवेदन दिया है। इस ट्रायल की सफलता के बाद देश में कोरोना को लेकर चल रहे टीकाकरण अभियान को और गति मिलने की संभावना है। इसकी सिंगल डोज काफी है वहीं ये 85 फीसदी तक कारगर है।
जाइकोव-डी वैक्सीन
अहमदाबाद की जाइडस-कैडिला कंपनी की जाइकोव-डी, हैदराबाद की बायोलॉजिकल-ई की अमेरिकी विश्वविद्यालय के सहयोग से बनने वाली वैक्सीन है। जाइकोव-डी (Zycov-D) के सभी ट्रायल पूरे हो चुके हैं। लेकिन अभी इसको मंजूरी नहीं मिली है वहीं इसकी एक डोज काफी है और ये 91 फीसदी तक कारगर है।
नोवावैक्स वैक्सीन
एक और अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन का एक साल में 200 करोड़ खुराक तैयार करेगी। अगस्त में अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स (Novavax) ने सीरम इंस्टीट्यूट के साथ डील साइन की थी। इस समझौते के मुताबिक, भारत के लिए कम के कम 100 करोड़ खुराक का उत्पादन किया जाएगा।
इंट्रानेजल कोरोना वैक्सीन
भारत बायोटेक Covaxin के अलावा दूसरी वैक्सीन पर भी काम कर रहा है, जिसके लिए वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के साथ उसने समझौता किया है। यह कोविव-19 के लिए एक सिंगल डोज इंट्रानेजल वैक्सीन है।
Now I am going to do my breakfast, afterward having my
breakfast coming again to read further news.