Vastu tips for Home

Vastu tips for Home: भवन निर्माण के वास्तु टिप्स, भवन में क्या करें और क्या न करें

ज्योतिष धर्म और आध्यात्म

 

हर कोई चाहता है कि उसका अपना एक खूबसूरत घर हो (Vastu tips for Home), जिसमें सुकून के दो पल व्यतीत किये जाए, यह सपना साकार करने के लिए हम तमाम जतन भी करते हैं।  लेकिन इस मंहगाई के दौर में भवन बनाना वाकई बहुत मुश्किल काम है। अगर आप-अपना खूबसूरत घर बनवाने जा रहे है तो हम आपको कुछ ऐसे वास्तु टिप्स बताने जा रहे है, आइए जानते है भवन का वास्तु कैसा होना चाहिए।

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वायुमण्डल में दो तरह की ऊर्जायें विद्यमान है। एक सकारात्मक ऊर्जा और दूसरी नकारात्मक ऊर्जा। इन दोंनो का प्रवाह निरंतर बहता रहता है। हमें स्वस्थ्य व प्रसन्नचित्त रहने के लिए सकारात्मक ऊर्जा की अधिक से अधिक जरूरत होती है। इसलिए भवन का निर्माण इस प्रकार कराना चाहिए कि उसमें प्रकाश व सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सर्वाधिक हो।

Vastu tips for Home

  • प्राथमिक रूप से भवन निर्माण के लिए वर्गाकार या आयताकार भूमि का चयन करना चाहिए। विकृत भूमि का चयन न करें जिससे भवन में सकारात्मक उर्जा का प्रवाह न हो सके। 
  • जिस भवन में सूर्य की धूप और वायु प्रवेश नहीं करती है, वहाॅ पर नकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
  • भूखण्ड के सामने किसी भी प्रकार का अवरोध जैसे- बिजली का खंभा और मन्दिर आदि नहीं होना चाहिए।
  • भूखंड में सारी दिशाओं का तालमेल इस प्रकार से होना चाहिए कि घर में सकारात्मक उर्जा प्रवाहित होती रहे। 
  • भूमिगत जल का संग्रह पूर्व, या ईशान अर्थात पूर्व-उत्तर कोण में ही करना चाहिए। 
  • भवन में नैऋृत्य कोण को भारी रखना चाहिए क्योंकि ऊर्जा का संचय इसी कोण में होता है।
  • यह ऊर्जा भवन के लिए लाभप्रद होती है। 
  • वास्तु के अनुसार यूं तो टॉयलेट घर में नहीं होना चाहिए, लेकिन आजकल यह संभव नहीं है। इसलिए इसे पश्चिम, दक्षिण या उत्तर-पश्चिम दिशा में बनवाना चाहिए। 
  • अपने रसोईघर को दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम में बनवाएं।रसोई का दरवाजा अन्य दरवाजों से बड़ा हो तो घर के सदस्यों का समय व धन खाने-पीने में अधिक व्यय होता है। 
  • भोजन बनाते समय गृहणी का मुॅह पूर्व दिशा में तथा यदि रसोइया भोजन बना रहा है तो उसका मुॅह उत्तर दिशा में होना चाहिए। 
  • भवन में दरवाजे व खिड़कियों की पवचयस्य की ऊॅचाई एक सीध में होनी चाहिए। 
  • भवन के बाहर मुख्य द्वार पर शीशा लगाने से बचें। घर के ईशान कोण में फर्श पर दरी या कालीन न बिछायें। 
  • यदि किसी भवन पर मन्दिर की छाया पड़ रही हो तो उस भवन में निवास करना उत्तम नहीं माना जाता है। 
  • पूजा घर या अध्ययन कक्ष उत्तर-पूर्व (ईशान) में बनाना लाभकारी है। 
  • परिवार के मुखिया और उसकी पत्नी के लिए घर का मास्टर बेडरूम दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम या दक्षिण दिशा में होना चाहिए।
  • उत्तर दिशा की दीवार पर झरना का चित्र न लगायेें अन्यथा परिवार की आर्थिक स्थिति में गिरावट आती है।
  • रविवार, मंगलवार या शनिवार को गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से घर में रोग हावी रहते है।
  • ऐसे मकान में निवास कदापि नहीं करना चाहिए जो बन्द रास्ते का आखिरी मकान हो।
  • सुबह-शाम घर में घण्टी अवश्य बजानी चाहिए, इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। 
  • पढ़ने वाले तथा अध्यात्म में रूचि रखने वाले तथा वृद्धों को पूर्व दिशा की ओर सिर रखकर शयन करना चाहिए। 
  • नए मकान, उद्योग या कारखानों को आरम्भ करने से पहले भूमि-पूजन करके उसकी नीवं में चाॅदी का सर्प बनाकर डाल देने से उस घर में कभी भी दरिद्रता नहीं आती है। 
  • बिना दरवाजे के, बिना पूर्ण छत के घर में प्रवेश कभी भी नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से घर में विपत्तियॉ का वास होता है।
  • घर के मध्य भाग में या ब्रम्ह स्थल में कोई दोष हो तो आप मध्य भाग में एक क्रिस्टल रख देने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
  • घर में वास्तु दोष के कारण संतान बीमार रहती है तो पीपल के पेड़ पर जल चढ़ायें तथा गाय को एक रोटी खिलाने से बीमारी दूर हो जाती है।
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