West Bengal Election

पश्चिम बंगाल चुनावः क्यों अहम हैं अगले चार चरण ?

राजनीति

पश्चिम बंगाल के चार चरण के चुनाव निपट गए हैं यानी आधी लड़ाई खत्म हो गई है लेकिन आधी लड़ाई अभी बाकी है। यूं तो बीता हर चरण ऐसा था जैसे मानो यही अंतिम और यही निर्णायक चरण हो, लेकिन बाकी बचे जो चार चरण है उसमें जो जीता वहीं बंगाल का सिकंदर कहलाएगा। बाकी बचे चरणों में उत्तर बंगाल की बड़ी भूमिका है। उत्तर बंगाल की चक्रव्यूह को दीदी (Mamta Banerjee) 2011 और 2016 की चुनाव में तब भी नहीं भेद पाई थी, जब उनकी सुनामी थी। दीदी के लिए आगे की लड़ाई क्यों कठीन है इसे समझने के लिए बचे हुए चरणों की सीटों का समीकरण समझना जरूरी है।

पश्चिम बंगाल में 4 चरणों में 135 सीटों पर चुनाव हो चुका है। अब चार चरणों के दौरान कुल 159 सीटों पर वोटिंग बाकी है। इनमें से 95 सीट टीएमसी (TMC) के पास है, इसके अलावा 21 सीटों पर लेफ्ट और 40 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। बीजेपी एक और गोरखा मुक्ति मोर्चा के पास दो सीटें हैं। बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, लिहाजा दीदी को अब बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस-लेफ्ट से भी कड़ा मुकाबला करना होगा। वर्धमान, दक्षिण 24 परगना और नदिया में लेफ्ट का सियासी आधार आज भी काफी मजबूत है। ममता को डर है कि वोटों का बंटवारा होने पर इसका फायदा कही बीजेपी को ना हो जाए। बंगाल में जिस तरह से बीजेपी (BJP) एक बड़ी चुनौती बनकर टीएमसी (TMC) के सामने खड़ी है। उससे ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) की बेचैनी बढ़ गई है। यही कारण है कि ममता बनर्जी ने हाल ही में सोनिया गांधी समेत तमाम विपक्षी दलों को बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की अपील की थी। ममता के इस अपील पर मौके पर चौका लगाते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने शर्त रख दी। शर्त के मुताबिक मालदा और मुर्शिदाबाद की 22 सीटों से कांग्रेस कैंडिडेट के खिलाफ टीएमसी अपने प्रत्याशी हटाए, तब बात बनेगी। बचे हुए चार चरणों में बंगाल के जिन क्षेत्रों में चुनाव होने है उनमें दक्षिण बंगाल के साथ-साथ उत्तर बंगाल प्रमुख है। उत्तर बंगाल में 54 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। ममता बनर्जी का ये कभी भी मजबूत गढ़ नहीं रहा। ममता की लहर में भी टीएमसी (TMC) यहां आधी सीटें भी नहीं जीत सकी थी। 2019 लोकसभा चुनाव में उत्तर बंगाल में बीजेपी ने 8 में से 7 लोकसभा सीटें जीती थी। इसीलिए यहां से बीजेपी (BJP) को बड़ी उम्मीदें है।

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2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर बंगाल की 54 विधासभा सीटों में से 34 सीटों पर बीजेपी की बढ़त थी, जबकी टीएमसी सिर्फ 12 सीटों पर ही बढ़त बना पाई थी। बीजेपी को लग रहा है कि अगर वो यहां पर 2019 चुनाव से थोड़ा भी अच्छा प्रदर्शन करती है तो ममता की राह रोकी जा सकती है। 2016 के चुनाव में उत्तर बंगाल में टीएमसी को सिर्फ 26 सीटें मिली थी, जबकी 2011 में ममता की भारी लहर में भी उसे महज 16 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। इस इलाके में राजवंशी, आदिवासी और गोरखा वोटरों की खासी तादाद है। 2019 के लोकसभा चुनाव में राजवंशी, आदिवासी और गोरखा वोटरों ने बीजेपी को बढ़-चढ़ कर वोट दिया था। अब बीजेपी इन्हीं वोटरों के सहारे ममता पर लीड लेने की कोशिश में है। आदिवासी और राजवंशी समाज के यहां 50 से 60 लाख वोटर हैं जो उत्तर बंगाल में बड़ी चुनावी हैसियत भी रखते हैं। रैलियों में बीजेपी के राजनीतिक झंडों के साथ राजवंशियों के पारंपरिक ध्वज जब एक साथ लहराए जाते है तो संकेतों में काफी कुछ पढ़ा जा सकता है। हालांकि गोरखा वोटर ने 2019 में बीजेपी का साथ दिया था। लेकिन इस बार गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेता विमल गुरुंग टीएमसी (TMC) के पाले में खड़े हैं तो अभी कुछ कहना सही नहीं है।

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इस बीच प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) के एक कथित ऑडियो टेप ने भी टीएमसी की मुश्किलें बढ़ा दी है। दरअसल, बीजेपी के आईटी सेल के हेड अमित मालवीय (Amit Malviya) ने एक ऑडियो क्लिप जारी किया है। इस ऑडियो क्लिप में तृणमूल कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर को कथित रूप से यह कहते हुए सुना जा सकता है कि राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) ‘जितने ही लोकप्रिय हैं।’ इस ऑडियो में प्रशांत किशोर कहते हैं, तीन ऐसे प्रमुख मुद्दे हैं जो इस चुनाव में बीजेपी को फायदे पहुंचा रहे हैं। पहला ध्रुवीकरण, दूसरा ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ गुस्सा और तीसरा दलित वोट। इस ऑडियो को ट्वीट करते हुए अमित मालवीय ने लिखा था कि टीएमसी (TMC) चुनाव में बहुत दूर चली गई है। हालांकि इस ऑडियो टेप के सामने आने के बाद प्रशांत किशोर ने सफाई देते हुए कहा है कि उन्होंने कहा कि उनकी बातों को काट-छांटकर और पेश कर इतराने वाले बीजेपी के लोगों में इतनी हिम्मत दिखानी चाहिए कि वे उनकी पूरी बातों को सामने लाएं। उन्होंने आगे लिखा है कि वे पहले भी कई बार कह चुके है और अब भी कह रहे हैं कि पश्चिम बंगाल के चुनाव में बीजेपी सौ का आंकड़ा किसी हाल में पार नहीं कर पाएगी। खैर अब बात चाहे जो भी हो लेकिन इतना तो तय है कि इस ऑडियो को सामने आने के बाद चुनाव और रोचक हो गया है।

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