कोरोना का संक्रमण देश में तेजी से फैल रहा है। कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा रोज नया रिकॉर्ड बना रहा है। दुनिया में रोजाना सबसे ज्यादा कोरोना वायरस (Coronavirus) केस भारत में ही आ रहे हैं। हालात बेहद खराब होते जा रहे है। लेकिन कोरोना की दूसरी इस जानलेवा लहर के बीच एक दवा को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। इस दवा की डिमांड बढ़ती जा रही है, साथ ही इसकी कालाबाजारी भी खूब हो रही है, इस दवा का नाम रेमडेसिविर (Remdesivir) है। दिल्ली हो, या मुंबई, राजस्थान हो या गुजरात चाहे कोई भी राज्य हो, आपको इस दवा की किल्लत और कालाबाजारी से जुड़ी खबरें और तस्वीरें देखने को मिल जाएगी। लोगों को लगता है कि रेमडेसिविर कोई संजीवनी है, जो कोरोना के अटैक से उन्हें पूरी तरह बचा सकती है। शायद यही वजह है कि जिसे रेमडेसिविर की ज़रूरत भी नहीं है वो भी इस दवा के लिए लाइन में लगा रहता है। हालात ये है कि करीब चार हजार रुपये का इंजेक्शन कई जगह 40 हजार तक में बिक रहा है। रेमडेसिविर की इसी बढ़ती हुई डिमांड को देखते हुए केंद्र सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी है तो वहीं राज्यों की ओर से इसे लाने के लिए स्पेशल विमान तक भेजा जा रहा है। देश में रेमडेसिविर (Remdesivir) को लेकर काफी कनफ्यूजन है, जिस पर गुजरात हाईकोर्ट ने भी हाल ही में कहा था कि ‘रेमडेसिविर को लेकर बहुत सारे मिथक हैं। डब्ल्यूएचओ (WHO) की इसे लेकर अलग धारणा है, आईसीएमआर (ICMR) की अलग, राज्य सरकारें कुछ और कह रही हैं और जनता को इसे लेकर सही जानकारी नहीं है। जनता को लगता है कि रेमडेसिविर (Remdesivir) उन्हें कोविड से बचा सकती है। इसका जिस तरह से प्रचार हो रहा है वो ठीक नहीं है। अब जनता को इसकी जानकारी देनी चाहिए।‘ ऐसे में सवाल उठता है कि ये रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remdesivir Injection) आखिर है क्या और क्यों अचानक इसकी इतनी डिमांड बढ़ गई है। क्या सच में ये कोरोना मरीज के लिए संजीवनी है तो आज हम आपको रेमडेसिविर इंजेक्शन के बारे में हर वो सब बताएंगे जो आपको जानना चाहिए।
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रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remdesivir Injection) आखिर है क्या ?
एक एंटीवायरल दवा है रेमडेसिविर, जिसे अमेरिकी दवा कंपनी गिलियड साइंसेज ने बनाया है। पिछले साल जब अलग-अलग वैक्सीन के शुरुआती ट्रायल चल रहे थे तब कोरोना के शुरुआती इलाज में रेमडेसिविर का इस्तेमाल भी हो रहा था। इसे हेपेटाइटिस सी और सांस संबंधी वायरस (RSV) का इलाज करने के लिए करीब एक दशक पहले बनाया गया था। हालांकि, रेमडेसिविर को बाजार में उतारने की कभी मंजूरी नहीं मिली थी। लेकिन अब कोरोना महामारी के दौरान इसे जीवन रक्षक दवा के तौर पर देखा जा रहा है। रेमडेसिविर टैबलेट और इंजेक्शन का इस्तेमाल कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में किया जाता है। हालांकि, पिछले साल नवंबर में डब्ल्यूएचओ (WHO) ने ये कह दिया था कि रेमडेसिविर कोरोना का स्टीक इलाज नहीं है। लेकिन अब तक के आंकड़े बताते हैं कि इस दवा ने कोरोना के गंभीर मरीजों को बचाया हैं। यही वजह है कि महामारी के इस दौर में इसे लोग कोई भी देकर खरीदने को तैयार हैं।
भारत में ये कंपनियां कर रही उत्पादन
कोरोना काल में भारत में इस दवा का उत्पादन जाइडस कैडिला, डॉ रेड्डीज, सिप्ला, सन फार्मा, हेटेरो, जुबिलैंट लाइफ साइंसेज और माइलैन जैसी कई कंपनियां करती रही हैं। अब सवाल है कि देश में अगर इतनी कंपनियां इस दवा का उत्पादन कर रही है तो फिर इसकी कमी कैसे हुई? इस में कोई शक नहीं कि कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमितों की तादात बढ़ी और रेमडेसिविर की मांग भी, लेकिन मामला हाथ से तब निकला जब सरकार ने अपने देश में लोगों की जरूरतों को पूरा किए बिना ही पिछले 6 महीने में करीब 10 लाख रेमडेसिविर दूसरे देशों में निर्यात कर दिया। हालांकि, बढ़ते मांग को देखते हुए अब केंद्र ने दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है और साथ ही कंपनियों को उत्पादन बढ़ाने को कहा है।
रेमडेसिविर से घटाई गई कस्टम ड्यूटी
बिगड़ती परिस्थितियों को देखते हुए रेमडेसिविर पर कस्टम ड्यूटी घटा कर केंद्र सरकार ने लोगों को एक और बड़ी राहत दी है। इस बात की जानकारी वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने दी है। पीयूष गोयल ने बताया है कि रेमडेसिविर की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से ये फैसला लिया गया है।
In line with PM @NarendraModi‘s priority to ensure affordable medical care for COVID-19 patients, imports of Remdesivir API, injection and specific inputs have been made import duty free. This should increase supply and reduce cost thus providing relief to patients. pic.twitter.com/F40SX8mNeS
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) April 20, 2021
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रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत किसे है ?
अब सबसे अहम बात है कि आखिर रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत किसे है। विशेषज्ञों की माने तो रेमडेसिविर इंजेक्शन सिर्फ एक प्रयोगात्मक दवा है और इसे सामान्य मामलों में नहीं दी जानी चाहिए है। विशेष स्थिति में ही इस इंजेक्शन के इस्तेमाल की अनुमति है। इस इंजेक्शन का इस्तेमाल सिर्फ अस्पतालों में ही चिकित्सकों की निगरानी में किया जाता है। अस्पतालों में भर्ती कराए गए मरीज, जो ऑक्सीजन पर हैं और गंभीर मरीज हैं, उन्हें डॉक्टरों की निगरानी में दी जाती है। ऐसे मरीज जो होम आइसोलेशन में रह रहे हैं, उन्हें इस इंजेक्शन को लगाने के लिए पूरी तरह मना है। इसका इंजेक्शन गलत इस्तेमाल घातक हो सकता है। इसके खुद के उपयोग से कुछ मरीजों की जान तक जा सकती है। कुछ मरीजों के हार्ट और लीवर पर भी इसका साइड इफेक्ट हो सकते है। यानी इसे सिर्फ डॉक्टरों की सलाह और निगरानी में ही लेना चाहिए।
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