क्या आपने कभी ये सुना है कि किसी आरोपी को कोई बर्थडे गिफ्ट मिला हो, क्या आपने कभी ये सुना है कि किसी आरोपी को कोर्ट ने बर्थडे गिफ्ट के तौर पर आजाद कर दिया हो? ये सुनकर आपको भले ही मजाक जैसा लग रहा हो, लेकिन बिहार में ऐसा सच में हुआ है। दरअसल, इन दिनों बिहार के नालंदा कोर्ट का एक फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है। नालंदा किशोर न्याय परिषद ने एक मानवीय फैसला सुनाया। आरोपी को बर्थडे का गिफ्ट भी मिल गया। दरअसल, आरोपी एक नबालिक है, नबालिक बच्चे के घर के पड़ोस में कुछ लोग रहते है और यही से पूरे मालले कि शुरुआत हुई।
अपनी मां को मदद करने गया था नाबालिक
नाबालिक लड़का अपने मां के साथ था और उसकी मां पड़ोस के किसी शख्स से मामूली बात को लेकर झगड़ा कर रही थी जिसमें वो नाबालिक लड़का भी कूद गया और लड़ाई शुरू हो गई। नाबालिक को ये नहीं पता था कि लड़ाई इतनी बढ़ जाएगी कि मामला कोर्ट तक पहुंच जाएगा। लेकिन लड़ाई इतनी बढ़ गयी कि मामला सच में कोर्ट तक पहुंच गया। चूंकि जिस पर आरोप लगा वो एक नाबालिक था इसलिए इसका फैसला नालंदा के किशोर न्यायलय में हुआ। ये सुनवाई 7 महीनों से चली और हमेशा नाबालिक को सुनवाई के दौरान कोर्ट जाना पड़ता था। इसकी सुनवाई जज मानवेंद्र कुमार मिश्र कर रहे थे।
‘मैं पूरे 18 साल का हो गया’
कोर्ट में किशोर ने कहा कि ‘सर आज मेरा जन्मदिन है और मैं पूरे 18 साल का हो गया। मेरे खिलाफ किसी थाने या कोर्ट में और कोई दूसरा मुकदमा लंबित नहीं है। मैं एक दवा दुकान में नौकरी करता हूं, कोर्ट में आने के बाद मेरा उस दिन का वेतन काट लिया जाता है। मुझे परिवार चलाने में काफी परेशानी होती है। मुझे माफ कर दिया जाए।’
हिदायत के साथ मिली रिहाई
कोर्ट के जज ने जब उस लड़के की बात सुनी तो उसके बाद, जज ने उसकी मां से पूछताछ की तो मां ने भी बताया कि पड़ोस के किसी व्यक्ति के साथ किसी बात को लेकर मामूली कहासुनी हुई थी। जिसको लेकर उन्होंने केस किया था। उनका बेटा अब ठीक से रहता है। इतना सुनते ही जज मानवेंद्र कुमार मिश्र ने कागजातों पर निगाह डाली। उन्होंने पाया कि ये मामला करीब 7 महीने से किशोर न्याय परिषद में लंबित है। इस दौरान स्थानिय पुलिस ने अभी तक इस मामले में एक आरोप पत्र तक दाखिल नहीं किया और अपराध साधारण प्रकृति का ही है। इसके बाद उन्होंने उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए रिहा करने का आदेश सुना दिया। इस तरह से अपने फैसले में जज मानवेंद्र कुमार मिश्र ने आरोपी को बर्थडे गिफ्ट दिया। साथ ही उन्होंने सख्त हिदायत भी दी कि भविष्य में किसी भी तरह का आपराधिक गतिविधियों में शामिल नहीं रहना। तुम वयस्क हो चुके हो। इस फैसले पर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सदस्य धर्मेंद्र कुमार और उषा कुमारी ने भी सहमति दी। इसके साथ ही नालंदा किशोर न्याय परिषद ने एक बार फिर से समाज को नई दिशा देने वाला एक अहम फैसला दिया।
अपने अनोखे फैसले के लिए जाने जाते हैं मानवेंद्र
दरअसल, नालंदा किशोर न्याय परिषद के जज मानवेंद्र कुमार मिश्र अपने अनोखे फैसले के लिए जाने जाते हैं। अभी कुछ महीने पहले की ही बात है जब जज साहब ने एक नाबालिक मां-बाप को न्याय दिया था। बिहार के एक नबालिक जोड़े ने घर से भाग कर शादी कर ली थी, जिसके बाद उन्हें एक बच्ची भी हुई और बच्ची चार महीने की हो गई तो दोनों लौट कर घर वापस आए। तब उनके मां-बाप ने उन्हें अपनाने से इंकार कर दिया था। साथ ही नाबालिक लड़की ने ये भी बताया कि अपने मां-बाप से उसकी जान को खतरा है। जिसके बाद जंज ने अपने फैसले में कहा कि हर अपराथ के लिए सजा दिया जाना न्याय नहीं होगा। ये सही है कि किशोर नाबालिक लड़की को भगा कर ले गया था और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया जिससे एक बच्ची पैदा हुई और ये अपराध है। लेकिन अब उसकी बच्ची जन्म ले चुकी है, बच्ची और उसकी मां को परिजन अपनाने से इंकार कर रहे है। ऐसे में किशोर को दंडित करके तीन नाबालिकों की जान संकट में नहीं डाली जा सकती है। इसलिए तीनों को कोर्ट साथ रहने की इजाजत देती है। कोर्ट का ये फैसला नाबालिक की जिंदगी तो बचाया ही साथ ही उसे जिंदगी जीने का एक नया मौका भी दिया।
Aise jaj sahb ko slam hai Mera
Thanku sir
जज साहब को बहुत बहुत शुक्रिया आपकी देश को बहुत जरूरत है ९०% to निर्दोष ही hajat में बंद हैं जय किसान किसान एकता जिंदाबाद
Good answer back in return of this query with firm arguments and telling everything on the topic of that.