दुनिया में जब-जब महामारी आई है, तब-तब एक के बाद एक कई लहरो में वायरस ने लोगों संक्रमित किया है और कोरोना महामारी में भी यही देखने को मिल रहा है। हर महामारी में ये देखा गया है कि पहली लहर से ज्यादा संक्रमण दूसरी लहर के साथ फैलता है, ज्यादा मौतें होती है, संक्रमण रफ्तार की ज्यादा रहती है और कोरोना मामले में भी ऐसा ही नजर आ रहा है। भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) की ये रफ्तार डराने और सावधान करने वाली है। हालात ये हैं कि दुनिया में अब भारतियों की एंट्री पर बैन लग रहा है। भारत को पाकिस्तान और ब्रिटेन ने रेड लिस्ट में डाल दिया है। यानी भारतीयों की एंट्री फिलहाल इन देशों में नहीं हो सकेगी। अब सवाल है कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर आखिर क्यों आई, कैसे आई और किन कारणों से आई हालांकि इसके पीछे सरकारी और निजी समेत कई कई कारण है लेकिन वैज्ञानिक इस बात से भी इनकार नहीं कर रहे कि दूसरी लहर में संक्रमण की तेज रफ्तार के पीछे कोरोना का वो डबल म्यूटेंट देसी वैरिएंट (Double Mutant Variant) भी है। जिसे महाराष्ट्र में कोरोना विस्फोट के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।
क्या नया म्यूटेंट (Mutant) ज्यादा खतरनाक है ?
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) के हाल के रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कोरोना वायरस का नया डबल म्यूटेंट वैरिएंट पाया गया है। इस वैरिएंट को B-1-617 का नाम दिया गया है। जिसमें दो तरह के म्यूटेशंस (E484Q) और (L452R) पाए गए हैं। L452R वाला म्यूटेंट ज्यादा खतरनाक समझा जा रहा है जो तेज रफ्तार से फैल रहा है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बना रहा हैं। महाराष्ट्र में जो केस सामने आ रहे है उनमें से 61 फीसदी लोग देसी म्यूटेंट वैरिएंट से संक्रमित है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर भारत के नए म्यूटेंट वैरिएंट की तुलना वुहान के पहले वायरस से की जाए तो इसमें अभी तक 15 बदलाव आ चुके है। जिसने वायरस का पूरा स्वरूप ही बदल दिया है। खास बात ये है कि इसमें तीन बदलाव स्पाइक प्रोटीन से जुड़े हैं। वहीं स्पाइक प्रोटीन जो वायरस को इंसानी कोशिकाओं में दाखिल कराती है।
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स्पाइक प्रोटीन (Spike Protein) आखिर है क्या ?
दरअसल, जब आप कोरोना वायरस को देखेंगे तो उसके बाहर से स्पाइक यानी कांटे बने हुए है। इन्हीं कांटों की मदद से कोरोना लोगों को संक्रमित करता है। म्यूटेशन के चलते वायरस के स्पाइक प्रोटीन (Spike Protein) में बदला हो गया है। स्पाइक प्रोटीन वायरस की बाहरी परत होती है। जो मानव शरीर के कोशिकाओं के संपर्क में आती है। वायरस के स्पाइक प्रोटीन बदल लेने से मानव शरीर में जो एंटीबॉडीज (Antibodies) हैं वो इसे पहचान नहीं पाती और व्यक्ति संक्रमित हो जाता है।
वायरस में म्यूटेशन (Mutation) क्यों ?
म्यूटेशन वायरस की स्वाभाविक प्रक्रिया है। खुद का वजूद बचाए रखने के लिए वायरस म्यूटेट करके नया और ज्यादा क्षमता वाला वैरिएंट तैयार करता है। विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना वायरस म्यूटेशन (Mutation) की जब से भारत में सिक्वेंसिंग शुरू की है, तब से करीब 5000 म्यूटेंट वैरिएंट की खोज हो चुकी है। भारत में डबल म्यूटेंट की पहचान पांच राज्यों में हो चुकी है। जिसमें राजधानी दिल्ली, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात और पंजाब शामिल हैं। हालांकि इसकी शुरुआत महाराष्ट्र से हुई थी लेकिन बताया जा रहा है कि पंजाब और दिल्ली में यूके वैरिएंट की वजह से संक्रमण की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है। जानकार की माने तो ऐसा नहीं है कि एक बार म्यूटेशन हो गया तो इसके बाद नहीं होगा। संभव है कोरोना वायरस इसके बाद भी अपना रुप बदल सकता है। लेकिन कई म्यूटेशन (Mutation) ऐसे भी होते है जो पहले से कमजोर होते हैं और कई म्यूटेशन ऐसे होते है जो पहले से खतरनाक होते हैं। यही वजह है कि कोरोना का नया म्यूटेंट हमारे कोशिका में चंद घंटों के अंदर वायरस की हजारों कॉपीज बना लेती है। इससे हमारे शरीर में वायरस लोड तेजी से बढ़ता है और मरीज जल्दी ही बीमारी की गंभीर अवस्था में पहुंच जाता है।
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हालांकि, इसके बाद भी जानकार कह रहे है कि अभी तक ये साबित नहीं हुआ है कि भारत में कोरोना विस्फोट की वजह डबल म्यूटेंट ही है। अभी नए म्यूटेंट के बारे में ज्यादा रिसर्च नहीं है इस पर अभी और रिसर्च जारी है। साथ ही कोरोना के नए वैरिएंट के प्रति वैक्सीन की प्रभावशीलता पर भी रिसर्च हो रही है। लेकिन सवाल है कि क्या जबतक रिसर्च आएगी तबतक कोरोना ऐसे ही फैलता रहेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भी बचने वहीं उपाय है जो पिछले कोरोना के थ यानी मास्क और सामाजिक दूरी ही सबसे कारगर हथियार है।