तीसरी बार पश्चिम बंगाल (West Bengal) का चुनाव जीत कर ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने ये साबित कर दिया कि राज्य में उनसे लोकप्रिय नेता कोई और नहीं है। बंगाल में सिर्फ दीदी की ही दादागीरी चलेगी। ये जीत इस बात पर भी मुहर लगाती है कि बंगाल की राजनीति को दीदी से बेहतर कोई नहीं समझ पाया। उन्होंने जब कहा कि वो हारी तो बंगाल को बाहरी चलाएंगे तो बंगाल की जनता ने दीदी की बात सुन ली और बीजेपी के सारे किए कराए पर बंगाल की जनता ने पानी फेर दिया। बंगाल की लड़ाई में बीजेपी (BJP) ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी, साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाई, लेकिन बीजेपी की पूरी पलटन के सामने जिस तरह से फाइटर दीदी योद्धा बनकर खड़ी रहीं। उससे लगता है कि विपक्ष के नेताओं में अभी सिर्फ वहीं है जो मोदी-शाह की जोड़ी से न सिर्फ टकराने का बल्कि हराने का भी दम रखती हैं। बंगाल चुनाव परिणाम से बीजेपी (BJP) जहां हैरान है, तो वहीं विपक्ष (Opposition) के लिए ये किसी ऑक्सीजन से कम नहीं है। बंगाल में दीदी की बंपर जीत के बाद विपक्षी नेताओं के बधाई संदेश में भविष्य के सियासी रणनीति की झलक साफ दिखाई दे रही है।
दीदी की विजय से विपक्ष लामबंद!
ममता को बधाई देते हुए एनसीपी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) ने ट्वीट कर कहा, “आपको शानदार जीत पर बधाई। लोगों के कल्याण के लिए हम मिलजुल कर वैश्विक महामारी से निपटने के दिशा में काम जारी रखेंगे। “वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने बीजेपी का दमदार तरीके से मुकाबला करने के लिए दीदी को बधाई दी। “पश्चिम बंगाल बड़ी जीत के लिए बधाई। क्या मुकाबला किया है? पश्चिम बंगाल के लोगों को बधाई।“ जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने तो ममता को बधाई देने के बहाने बीजेपी और चुनाव आयोग (Election Commission) तक को निशाने पर ले लिया। उमर ने लिखा, बीजेपी और पक्षपाती चुनाव आयोग ने आपको हर तरह से रोकने की कोशिश की लेकिन आप विजय हुई। अगले 5 सालों के लिए शुभकामनाएं। एसपी (SP) अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) बोले, “‘दीदी ओ दीदी’ अपमान का बीजेपी को मिला मुंहतोड़ जवाब ‘दीदी जिओ दीदी’” वहीं कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) बधाई देते हुए कहा, ”ममता जी और पश्चिम बंगाल के लोगों को बीजेपी को हराने के लिए बधाई।”
दरअसल, लंबे समय से विपक्ष को मोदी और शाह की जोड़ी का कोई जवाब नहीं मिल रहा था लेकिन ममता ने जिस दम खम के साथ बंगाल में जीत हासिल की है उसने समूचे विपक्ष को नई प्राण वायु दे दी है। जिसका सीधा असर आने वाले वक्त में देश की राजनीति पर दिखाई देगा। इस जीत ने इस बात पर भी मुहर लगाई है कि बीजेपी का मुकाबला राष्ट्रीय पार्टियां नहीं बल्कि क्षेत्रीय पार्टियां बेहतर कर रही हैं। दीदी की ये जीत इस बात की ओर भी इशारा करती है कि आने वाले समय में कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों की अहमियत और कम हो सकती है। उन्हें राज्यों में सेकंड और थर्ड पार्टनर भी बनना पड़ सकता है।
बीजेपी के रणनीति को धक्का!
बंगाल विजय का बीजेपी का सपना सिर्फ इमोशनल ही नहीं था, बल्कि आगे की रणनीति का हिस्सा भी था। बंगाल की जीत से बीजेपी को 2024 के आम चुनाव के लिए ताकत लेनी थी। क्योंकि उत्तर प्रदेश के बाद जिस पश्चिम बंगाल (West Bengal) में सबसे ज्यादा लोकसभा की सीटें है। इसलिए ये राज्य जीतना प्रधानमंत्री की दिल की ख्वाहिश थी। लेकिन इस चुनाव में बीजेपी की हार ने उत्तर प्रदेश की तरह उत्तराखंड और पंजाब में पार्टी की चुनौतियों को अचानक कई गुणा बढ़ा दिया है। क्योंकि देवभूमि उत्तराखंड में भले ही बीजेपी को पिछले चुनाव में 70 में से 57 सीटें मिली हो लेकिन इस बार बीजेपी का आत्मविश्वास डोल रहा है। इसीलिए उसे चुनाव से पहले अपने मुख्यमंत्री को बदलना पड़ा। लेकिन नए मुख्यमंत्री भी काम से ज्यादा जिस तरह से विवादों में रहते हैं उससे सवाल उठता है कि क्या आने वाले चुनाव में वो बीजेपी को चुनावी वैक्सीन दिला पाएंगे। उत्तर प्रदेश का भी हाल ठीक नहीं है वहां के कानून व्यवस्था ने पहले ही बीजेपी को कटघरे में खड़ा कर दिया था और अब रही सही कसर कोरोना वायरस (Coronavirus) ने पूरी कर दी। ऐसे में बीजेपी को लगता है कि अगले चुनाव में उसे इन राज्यों में सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ेगा इस लिए बंगाल उसके केंद्र में था।
क्या ममता विपक्ष की तरफ से मोदी को सीधे चुनौती देंगी?
बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) अगर तृणमूलल (Trinamool) का चेहरा थीं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Naredra Modi) बीजेपी (BJP) का। अब नतीजों के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या ममता मोदी विरोधी विपक्ष (Opposition) का भी देश भर में नेतृत्व करेंगी? क्या विपक्ष की तरफ से वो मोदी को सीधे चुनौती देंगी? क्योंकि इस वक्त विपक्ष विखरा हुआ है, अपने आंतरिक मतभेदों में ही कांग्रेस पार्टी (Congress Party) अभी उलझी हुई है। मौजूदा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने पहले से चल रहे सवालों के घेरे में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की क्षमता पर और भी गहरी चोट की है। मायावती (Mayawati) या फिर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav), शरद पवार (Sharad Pawar) हो या उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) या फिर चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) विपक्ष के किसी भी नेता में मोदी-शाह की जोड़ी को सीधे-सीधे टक्कर देने का सामर्थ्य नहीं हैं। ऐसे में क्या ममता विपक्ष (Opposition) की एकक्षत्र नेता बन सकती हैं।