देश में कोरोना का संकट अब लगातार गंभीर होता जा रहा है। कोरोना रोज नया रिकॉर्ड बना रहा है। लोगों के संक्रमित होने के साथ-साथ मरने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। लेकिन बात यहीं तक नहीं है। दरअसल, कोरोना के इस लहर में एक और मुसीबत ने जो हम सब को परेशान कर दिया वो है, संक्रमित मरीज का आरटी-पीसीआर (RT-PCR) टेस्ट निगेटिव आना। कोरोना वायरस (Corona Virus) की नई लहर ने पूरे देश में कोहराम मचा दिया है लेकिन मरीज के पॉजिटिव होने के बावजूद भी रिपोर्ट का निगेटिव आना एक नया सिरदर्द बन गया है। देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसे बहुत से मामले आ रहे हैं जिसमें कोरोना से संक्रमित मरीजों के भी टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आ रही है और एक-दो नहीं, बल्कि सैकड़ों मामले ऐसे आए हैं, जहां गंभीर लक्षण वाले मरीजों की रिपोर्ट भी नेगेटिव आई। ऐसे मामलों में जब मरीज की हालत ज्यादा बिगड़ती है तो दूसरे किसी एडवांस टेस्ट से पता चलता है कि मरीज को कोरोना है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर आरटी-पीसीआर (RT-PCR) निगेटिव होने के बाद भी तबीयत बिगड़ रही हो तो क्या करें। ऐसे मामलों में तेजी आने के बाद कोरोना से लड़ाई का अगला रोड मैप क्या होना चाहिए और मरीजों को सावधानी क्या बरतनी चाहिए, आज हम इस सारे सवालों का जवाब देंगे।
दरअसल, कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है कि नहीं ये जानने के लिए पहले रेपिड एंटीजेन टेस्ट (Antigen Test) करवाया जाता है, जिससे ये अंदाजा मिल जाता है कि कोई व्यक्ति वायरस के संपर्क में आया या नहीं, लेकिन इसके नतीजे पर निश्चिंत नहीं हो सकते। इसलिए इस पर सिर्फ 40 फीसदी ही भरोसा किया जाता है। लेकिन आरटी-पीसीआर टेस्ट को अब तक फाइनल नतीजा माना जा रहा था, हालांकि अब RT-PCR टेस्ट के नतीजे भी गलत साबित हो रहे है। डॉक्टर के मुताबिक आरटी-पीसीआर (RT-PCR) टेस्ट के नतीजे 15 से 20 फीसदी तक गलत साबित हो रहे हैं।
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करोना की इस नई मुसीबत को उदाहरण के जरिए समझें
एक मरीज को बुखार, खांसी और सांस फूलने जैसी समस्या थी लेकिन उसकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई थी। जब उसकी ज्यादा बिगड़ी तो बाद में डॉक्टर्स ने मरीज का सीटी स्कैन किया तो फेफड़ों में वायरस के मौजूदगी के निशान दिखें गए। ऐसे में अगर मरीज जागरूक ना हो और वो गहरी जांच ना कराए तो वो कोरोना वायरस का सुपर स्प्रेडर बन जाता है। यही कोरोना के इस संकट का दौर है। ऐसे में अगर आप में भी लक्षण हैं और तबियत में सुधार ना हो तो लापहवाही ना करें और फौरन अपने डॉक्टर से मिलें। डॉक्टर के सलाह से ही कोई कदम उठाए।
करोना वायरस पकड़ में क्यों नहीं आ रहा
अब सवाल ये है कि टेस्ट में वायरस पकड़ में क्यों नहीं आ रहा तो जवाब में इसके कई वजह है, वायरस नाक या गले में मौजूद ना हो तो नतीजा सही नहीं आएगा। अगर वायरस लोड यानी वायरस की संख्या ज्यादा नहीं थी तो भी नतीजा सही नहीं आएगा। गले या नाक की जगह वायरस का इंफेक्शन सीधे फेफड़ों में हो तो भी सही नतीजा मिलना मुश्किल है। इसे लेकर अब दुनिया भर में रिसर्च भी शुरू हो गई है, लेकिन विशेषज्ञों की राय अब भी बंटी हुई हैं। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना वायरस में म्यूटेशन की वजह से RT-PCR टेस्ट में गलत नतीजे आ रहे है। जबकि कुछ का मानना है कि गलत तरीके से सैंपल लेना इसकी एक बड़ी वजह हो सकती है। कुछ डॉक्टर ये भी मानते है कि हो सकता है कि जिस जगह का सैंपल लिया गया है वहां वायरस मौजूद ही ना रहा हो या फिर सैंपल लेते वक्त कुछ गड़बड़ हुई हो। ऐसे मामले में डॉक्टर सीटी स्कैन, फेफड़ों का स्कैन या फिर दूसरा टेस्ट करवा सकता है। क्योंकि फेफड़ों के स्कैन से कोविड के पैच का पता चल जाता है। कोरोना के आरटी-पीसीआर के रिपोर्ट का गलत आना एक गंभीर समस्या जरूर है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी बीमारी के टेस्ट रिपोर्ट में कुछ गलती की गुंजाइश रहती है और कोरोना के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है। इसलिए इससे ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि इस सबके बावजूद अभी भी RT-PCR टेस्ट ही कोरोना के सबसे प्रमाणिक जांच है और इसी के भरोसे कोरोना के खिलाफ जंग में काफी कामयाबी भी मिली है।
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पॉजिटिव मरीज की आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आने के मामले पूरी दुनिया से सामने आ रहे है। कई देशों में इसकी वजह वायरस का म्यूटेशन (Mutation) भी है लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में म्यूटेशन की वजह से आरटी-पीसीआर टेस्ट के गलत आने की गुंजाइश बेहद कम है क्योंकि भारत में टेस्ट की तकनीक काफी एडवांस है। कोरोना संक्रमित होने के बाद भी रिपोर्ट का निगेटिव आना बेहद खतरनाक है क्योंकि इससे संक्रमित मरीज अपने बीमारी को लेकर लापरवाह हो जाता है और उससे कोरोना फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है। तो आप में भी अगर कोरोना के लक्षण है और टेस्ट निगेटिव आए है फिर भी सावधान रहिए और अपने डॉक्टरों की सलाह जरूर लीजिए।