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Coronavirus: हर मरीज को अस्पताल जाने की जरूरत नहीं, घर पर ऐसे रखें अपना ख्याल

कोरोना भारत

कोरोना बेहद तेजी से फैल रहा है भारत में पिछले कुछ दिनों से ज्यादा ही तेजी से केस बढ़े हैं, इस महामारी के बीच हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है। अस्पतालों की स्थिति भी बेहद खराब है। लोग अस्पताल, ऑक्सीजन और बेड के लिए दर-दर भटक रहे हैं। अगर आपको अस्पताल मिल गया तो आप किस्मत वाले हैं। हालांकि आगे क्या होगा यह नहीं कहा जा सकता। डॉक्टर और कर्मचारी बहुत कठिन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं, वहां भी सब ठीक नहीं है। अस्पतालों में न बेड है न दवा और ना ही ऑक्सीजन। ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए मारामारी मची हुई है। ऐसा इसलिए भी है कि कई बार मरीज अपनी पॉजिटिव रिपोर्ट देखकर ही सकपका जाते हैं। फूलती सांस और गिरते ऑक्सीजन लेवल के बीच हर कोई अस्पताल में दाखिला लेना चाहता है। मगर डॉक्टरों कहना है कि आप अगर अपने घर पर ही अपना ख्याल अच्छे से रखेंगे तो शायद आपको अस्पताल जाने की भी जरूरत ना हो। सबसे पहले तो आप अपनी उखड़ती हुई सांस पर काबू पाइए, दिमाग को स्थिर कीजिये और किसी एक डॉक्टर की सलाह मानिए।

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करोना हो जाने पर क्या करें (How to care corona patient) :-

  1. कोविड जैसे लक्षणों के आते ही आप सतर्क हो जाएं। सतर्क होने का मतलब घबराना बिलकुल नहीं है। यह मत मानिए कि कोरोना हो गया तो अब सब खेल ख़त्म। किसी भी परिस्थिति में यदि सौ लोगों को कोविड का संक्रमण हुआ है तो लगभग 97-98 लोग जीवित रहेंगे ही। पहले अपना जांच कराइए, अपने आपको आइसोलेट कर लीजिए और फिर अपने शंसाधन टटोलिए। जैसे- अस्पताल के नंबर, परिचित चिकित्सकों के नंबर, सहारे के लिए दोस्त, रिश्तेदार आदि का इस्तेमाल करें।
  2. इस दूसरी लहर के कोविड में परिवार के एक आदमी को संक्रमण हुआ तो लगभग सभी लोग चपेटे में आने वाले हैं। जो 60 साल से ऊपर के व्यक्ति हैं या जिन्हें कोई लंबी बीमारी है, खासकर मधुमेह, उन पर विशेष नज़र रखिए और उनको कोविड के मरीजों से दूर रखिए।
  3. डॉक्टर की सलाह का पालन करें और नियमित रूप से दवाइयां लें। साथ ही साथ कई प्रकार की विटामिन्स, (जिन्हें लेने में कोई हर्ज नहीं) मिल जाएंगी, लेना शुरू कर दीजिये। छोटे बच्चों को बुखार की दवा के अलावा और कुछ भी न दें, इस स्टेज पर। ध्यान रहे बीमारी का दूसरा हफ्ता सबसे खतरनाक है।
  4. अब सबसे जरूरी काम है, “मॉनिटरिंग”, मॉनिटर क्या है और कैसे करना है? बस एक चीज, SPO2 यानी रक्त में ऑक्सिजन की मात्रा जो जिन्हें कोविड का लक्षण हैं, चाहे वो पॉज़िटिव हैं या निगेटिव, उन्हें दिन में कम से कम दो बार अपना ऑक्सिजन लेवेल जरूर देखना है। इस कोविड महामारी के खिलाफ पल्स ऑक्सीमीटर (Pulse Oximeter) सबसे बड़े हथियार के रूप में देखा जा रहा है, यह हथियार आप भी संभालिए। अगर आप चल सकते हैं तो 6 मिनट टहलने के बाद ऑक्सिजन लेवेल चेक कीजिए, 94 से कम नहीं है तो मुस्कुराइए और अपना मनपसंद खाना खाईए, खूब पानी पीजिए और आराम कीजिए।
  5. अगर आपका SPO2 लगातार 94 से कम है, खासकर 90 से कम तो आप अस्पताल खोजना शुरू कर दीजिए। यदि आपका कोई परिचित चिकित्सक आपकी मदद के लिए हर समय उपलब्ध हो और आपको अस्पताल में बेड ना मिल रहा हो तो आप तब तक घर पर ही ऑक्सीजन का इंतजाम कर सकते हैं। अगर ऑक्सीजन का इंतजाम भी तुरंत नहीं हो रहा है तो गर्म पानी का भाप लें, भाप आपके नाक और गले में जाकर वहां जमा म्यूकस को पतला कर देती है। इससे आपको सांस लेने में आसान होगी और आप काफी राहत महसूस करेंगे। साथ ही आप कुछ घंटे पेट के बल भी लेटिए इससे आपके ऑक्सिजन लेवेल में सुधार होगा। जब तक अस्पताल नहीं मिल जाता तब तक आप ये कर सकते हैं। जो लोग छोटे शहरों में बीमार पड़ रहे हैं वे बड़े शहरों की ओर न भागें, खासकर तब जबकि आपकी जेब बहुत फूली हुई नहीं है। अगर ऑक्सिजन का इंतेजाम हो जाये तो आपके कस्बे में ही आपका इलाज, बड़े शहर का बड़ा डॉक्टर वहीं से कर देगा।
  6. रेमडेसिविर के पीछे ज्यादा मत भागिए, यह गेम चेंजर नहीं है। गेम चेंजर है स्टेरॉयड (Steroids) जिसे आपका काबिल चिकित्सक आपकी बाकी बीमारियों, कोविड कैलेंडर में आपका दिन, आपका वजन आदि को देखते हुए आपको प्रिस्क्राइब (Prescribed) करेगा, उसे लीजिये। स्टेरॉयड आप रोज ले सकते हैं। यह रेमडेसिविर (Remdesivir) से भी ज्यादा प्रभावी है।
  7. अब आपके मन में सवाल चल रहा होगा कि स्टेरॉयड (Steroids) क्या है? दरअसल, स्टेरॉयड एक तरह के हार्मोन हैं जो मानव शरीर में स्वाभाविक रूप से बनते हैं। स्टेरॉयड दवाएं शरीर में बने प्राकृतिक हार्मोन का कृत्रिम रूप होती हैं। स्टेरॉयड दवाएं कई अलग-अलग चिकित्सीय स्थितियों के लिए उपयोग की जाती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कई तरह के स्टेरॉयड कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों के इलाज में कारगर है और इससे जान जाने का जोखिम बहुत हद तक कम किया जा सकता है। एक बात जो जरूरी है वो ये कि इस महामारी के दौर में केवल अपने बारे में मत सोचिए, इंसानियत बनाए रखिए, दूसरों के कष्टों का ख्याल आपके मन में होगा तो आप अपने को भी बचा ले जाएंगे।
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