राज्य बदल जाते है, शहर बदल जाते है लेकिन नहीं बदलती बदहाली की तस्वीर। कोरोना महामारी ने देश के हेल्थ सिस्टम खोल कर रख दी है। देश के कई अस्पतालों में बेड से लेकर डॉक्टर और दवा से लेकर ऑक्सीजन की कमी के चलते लोगों ने दम तोड़ दिया। देश भर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के कारण हाहाकार मचा तो कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई फिर जा कर सरकार ने ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए आनन फानन में कई कदम उठाए लेकिन लगता है कि ये कदम भी ना काफी साबित हो रहे है। क्योंकि ऑक्सीजन की कमी से देश में अब भी कई अस्पतालों में लोग मर रहे हैं। आज हम देश के उस राज्य की सच्चाई से रू ब रू कराने जा रहे है जहां देश दुनिया के एक करोड़ से ज्यादा लोग हर वर्ष अपनी खुशियों का उत्सव मनाने जाते हैं। जी हां, हम बात कर रहे है देश के सबसे चकाचौंध भरे राज्य गोवा की। जहां आज कोई खुशियों का मातम नहीं बल्कि चारो तरफ मौत का मातम है। जहां आज हर दो में से एक आदमी कोरोना संक्रमित पाया जा रहा है। जहां आज कोरोना के मरीज (Corona Patient) एक एक सांस के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
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गोवा बेहाल, दम घोंटता अस्पताल
दरअसल, कोरोना काल में गोवा के मेडिकल कॉलेज (Goa Medical College) का दम फूल गया है। जिसका खामियाजा मरीजों को चुकाना पड़ रहा हैं। गोवा के प्रमुख सरकारी अस्पताल जीएमसी (GMC) में ऑक्सीजन (Oxygen Crisis at GMC) की कमी के चलते बीते चार दिनों में 74 मरीजों की जान जा चुकी है। इसकी वजह देश की एक समृद्ध, संपन्न राज्य में ऑक्सीजन की कमी बताई जा रही है। 11 मई को गोवा मेडिकल कॉलेज (Goa Medical College) में 26 मरीजों की मौत हुई तो 12 मई को 20 मरीजों ने तम तोड़ दिया, 13 मई को 15 मरीजों की मौत हुई तो 14 मई को 13 मरीजों को ऑक्सीजन की कमी के चलते अपनी जान गंवानी पड़ी। वैसे कोरोना मरीजों की बदहाली का ये आलम केवल गोवा मेडिकल कॉलेज (Goa Medical College) तक सीमित नहीं है, बल्कि दूसरे अस्पतालों का भी कुछ ऐसा ही हाल है क्योंकि गोवा पूरी तरह से कोरोना की गिरफ्त में आ गया है। आंकड़े बताते हैं कि गोवा में कोरोना संक्रमण की पॉजिटिविटी रेट (Covid-19 Positivity Rate) 51 फीसदी है। यानी हर वो दूसरा आदमी जो वहां कोरोना टेस्ट करा रहा है वो पॉजिटिव पाया जाता है। कोरोना रिकवरी रेट (Covid Recoveries Rate) भी यहां सिर्फ 71 फीसदी है। यानी गोवा की हालत लगातार खराब हो रही है और उस पर असपताल का ये हाल।
यहां सस्ती है आम आदमी की जिंदगी
आम आदमी की जिंदगी की कीमत सरकारी व्यवस्था की निगाहों में कितनी कम है इस बात की गवाही ये है कि गोवा के मुख्यमंत्री (Goa Chief Minister) प्रमोद सावंत (Pramod Sawant) 12 मई को अस्पताल का दौरा करते हैं। मुख्यमंत्री के सामने मरीजों के परिजन गिड़गिड़ा कर ऑक्सीजन की दिक्कत बताते हैं लेकिन सीएम के दौरे के 48 घंटे के भीतर 28 और मरीजों की जान ऑक्सीजन की कमी के कारण चली जाती है। गुरुवार को ही गोवा हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा था अब और मरीजों की जान ना जाने पाएं लेकिन विडंबना देखिए शुक्रवार को फिर 13 मरीजों ने दम तोड़ दिया। अब इसे हैरानी कहे या शर्मनाक क्योंकि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री (Goa Health Minister) विश्वजीत राणे (Vishwajit Rane) खुद कह चुके हैं कि ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई है। गोवा के प्रधान सचिव बोलते हैं कि गोवा में ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो रही है। गोवा मेडिकल कॉलेज के डीन कह चुके हैं कि अस्पताल को रोज 3456 सिलेंडर चाहिए लेकिन आधे ही मिल पाते है। इन सबके बावजूद गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत का अलग राग है। उनका कहना हैं कि ऑक्सीजन सप्लाई की कमी ही नहीं है। हलांकि चौतरफा घिरते देख अब दिल्ली से ऑक्सीजन जरूर मगाई जा रही है लेकिन इससे हालात कितने सुधरेंगे इसका पता नहीं।
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विपक्षी दलों ने सीएम के इस्तीफे की मांग की
गोवा के अस्पतालों में अव्यवस्था के बाद अब गोवा के कई विपक्षी दल गोवा के मुख्यमंत्री के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज कराने जा रहे हैं। गोवा फॉरवर्ड पार्टी (Goa Forward Party) के नेता विजय सरदेसाई (Vijai Sardesai) ने तो मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के इस्तीफे की मांग की। विजय सरदेसाई (Vijai Sardesai) ने बताया कि गोवा के 60 साल पूरे होने के मौके पर केंद्र सरकार (Central Government) ने 300 करोड़ की विशेष आर्थिक पैकेज दिया था और राज्य सरकार ने सेलिब्रेशन भी शुरू कर दिया था। अगर 300 करोड़ सेलिब्रेशन के लिए केंद्र सरकार राज्य को दे सकती है तो फिर कोरोना काल में गोवा को मदद क्यों नहीं की।