कोरोना की दूसरी लहर पहली लहर से बेहद खतरनाक और संक्रामक है और इस बार कोरोना वायरस (Coronavirus) किसी को भी नहीं छोड़ रही है। कोरोना की पहली लहर से बच्चें बच गए थे, माना गया की उनकी इम्यूनिटी अच्छी हैं इसलिए उनको खतरा कम है। लेकिन दूसरी लहर को आते-आते ये राय भी पलट गई, आंकड़े वयां कर रहे हैं कि अब बच्चे भी कोरोना से अछूते नहीं रहे, नवजात तक को कोरोना हुआ। हाल ही में सूरत के एक अस्पताल में भी 14 दिन के नवजात बच्चे ने कोरोना के कारण दम तोड़ दिया था। वह जन्म के दो दिन बाद ही कोरोना के चपेट में आ गई थी। उस बच्ची को प्लाज्मा भी चढ़ाया गया लेकिन फिर भी नहीं बच पाई।
ये आंकड़े दे रहे है गवाही
एक आंकड़े के मुताबिक हर 20वां मरीज 10 साल से छोटा बच्चा है। ये आंकड़े सरकार के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के है। कोरोना के कुल मरीजों में से 4.42 फीसदी मरीज 10 साल से कम वाले हैं यानी बच्चे हैं। 11 साल के बच्चे से लेकर 20 साल के युवकों का कोरोना बीमारों में हिस्सा 9.79 फीसदी है। एक अप्रैल से चार अप्रैल तक पांच सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों से सामने आए कोरोना के मामलों में से 79,688 मामले बच्चों के है। इनमें से महाराष्ट्र में 60,000 से ज्यादा, छत्तीसगढ़ से 5940, कर्नाटक में 7327, उत्तर प्रदेश में 3004 और दिल्ली में 2733 केस सामने आए हैं। जाहिर तौर पर बच्चे खतरे की जद में आ गए हैं। इसे लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन के सामने एम्स (AIIMS) के डॉक्टर ने चिंता जताई। ऐसे में मां बाप की फिक्र बढ़ गई हैं। बच्चे किस तरह से इस खतरनाक बीमारी के चपेट में आ रहे हैं और कैसे उन्हें इससे बचाया जा सकता है वो सब आज हम आपको बताएंगे।
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हर दिन 20-30 फोन आ रहे
डॉक्टरों के मुताबिक बच्चों के कोरोना संक्रमित होने के मामले हर दिन करीब 20-30 फोन आ रहे हैं और वीडियो कंसल्टेशन के लिए भी कई लोग संपर्क कर रहे हैं।
बच्चों में ये लक्षण (Corona virus Symptoms) दिखें तो संभल जाएं
जिस तरह से कोरोना वायरस बच्चों को भी अपना शिकार बना रही है। ऐसे में बच्चों को लेकर ज्यादा सावधानी की जरूरत है। कुछ लक्षण बच्चों में दिखें तो सावधान हो जाएं। जैसे सांस लेने में दिक्कत, हल्की खांसी, थकान, सुस्ती, बुखार, डायरिया और पेट में दर्द हो। साथ ही भूख कम लगना और स्वाद का पता नहीं लगने जैसे लक्षण भी दिख रहे हैं। ऐसे लक्षण अगर आपके बच्चे में भी है तो इसे बिल्कुल नजरअंदाज ना करें। बच्चों को कोरोना से बचाने के साथ उनकी इम्यूनिटी बढ़ाने की भी कोशिश होनी चाहिए।
अभी बच्चों के लिए कोई वार्ड अलग से नहीं है
दरअसल, वयस्कों की तुलना में कोरोना से संक्रमित बच्चों का इलाज में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही बताया जा रहा है कि कोरोना से संक्रमित बच्चों के लिए कोई अलग वार्ड नहीं है क्योंकि पिछले साल बच्चों के इतने मामले सामने नहीं आए थे, जितने की अब सामने आ रहे हैं। डॉक्टरों का मानना है कि रेमडेसिविर (Remdesivir) जैसी एंटी-वायरल दवाएं हो या स्टेरॉयड (Steroid) ये बच्चों को नहीं दिया जा सकता है। इसलिए बच्चों का इलाज कफ और बुखार की दवाएं देकर किया जा रहा हैं।
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बच्चों को हो रहे हैं मल्टी-इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम
डॉक्टरों की माने तो कोरोना वायरस गंभीर होने पर बच्चों में मल्टी-इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम भी हो रहा है, जिसके वजह से ही कुछ बच्चों की मौत हुई है। इस सिंड्रोम में बुखार के साथ फेफड़ा, दिल और दिमाग में गंभीर सूजन हो जाती है। इस कारण से कुछ बच्चों को दौरे भी पड़ रहे हैं।
कैसे बरतें सावधानियां
आपको अपने बच्चों को कोरोना से बचने के लिए कुछ अलग से सावधानियां बरतनी चाहिए। कहीं बाहर जाएं तो बच्चों को भी मास्क जरूर पहनाएं। फिलहाल बच्चों को खेलने के लिए अपने घर से बाहर ना भेजें। इसी तरह स्विमिंग क्लासेज या फिर शॉपिंग मॉल और किसी फंक्शन में भी उन्हें ले जाने से बचना चाहिए। इसके साथ ही युवाओं को भी स्टेडियम और जिम जाने से भी बचना चाहिए। बताया जा रहा है कि इन सारी जगहों पर कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसलिए अभी बच्चों को जहां तक हो सके घर में ही रखें।