कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने देश में कोहराम मचा रखा है। इसमें दो राय नहीं है कि अगर भारत को कोरोना की दूसरी लहर की मार को कम करना है और संभावित तीसरी लहर से बचना है तो ज्यादा से ज्यादा लोगों को कम से कम समय में टीका लगाना जरूरी है। इसके लिए सरकार ने एक मई से 18 से 45 साल के उम्र वाले लोगों को भी टीका लगाने की इजाजत दे दी है। लेकिन ये टीका आपको केंद्र सरकार नहीं लगाएगी। राज्य सरकार के पास इसके लिए जाना होगा जो हो सकता है कि आपको मुफ्त में टीका लगा दे या फिर इसके आपको पैसे देने पड़ें। लेकिन युवाओं को वैक्सीन (Vaccine) देने से पहले ही इसे लेकर देश में जबरदस्त घमासान छिड़ गया है। दरअसल, कोरोना से निपटने के लिए इस समय देश में दो ही वैक्सीन पर लोगों की उम्मीदें टिकी हुई है। यानी बाजार में इस वक्त दो ही टीके कोविशिल्ड (Covishield) और कोवैक्सीन (Covaxin) मौजूद है और दोनों वैक्सीन के दाम (Vaccine Price) अलग-अलग है। कोविशिल्ड को भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने बनाई है तो कोवैक्सीन का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute) कर रहा है। लेकिन हाल ही में कोविशिल्ड के दाम जारी होने पर मचा बवाल आभी थमा भी नहीं था कि वैक्सीन के कीमतों की दूसरी लहर भी आ गई है और इसलिए वैक्सीन को लेकर संग्राम छिड़ गया है। कोरोना वैक्सीन के दाम को लेकर मचे इस बवाल के पीछे की कहानी बेहद अहम है जो आपके लिए जानना जरूरी है। दरअसल, भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने आईसीएमआर (ICMR) के साथ मिल कर कोरोना के लिए जो कोवैक्सीन (Covaxin) बनाई है वो पूरी तरह से स्वदेशी है। इसका मतलब ये कि इसे विकसित भी देश में ही किया गया और इसका उत्पादन भी देश में ही हो रहा है। वहीं सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute) ने जो कोविशिल्ड (Covishield) कोरोना वैक्सीन बनाई है, उसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) और एस्ट्रा जेनेका (AstraZeneca) ने मिलकर डेवलप किया है और सीरम इंस्टीट्यूट इस वैक्सीन का उत्पादन कर रहा है।
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वैक्सीन एक दाम अनेक क्यों?
भारत बायोटेक ने अपनी कोवैक्सीन (Covaxin) अब तक केंद्र सरकार को 150 रुपए प्रति डोज रेट से दी है लेकिन वहीं अब उसने राज्यों के लिए 600 रुपए और निजी अस्पतालों के लिए 1200 रुपए प्रति डोज वैक्सीन की कीमत तय की है जो सीरम (Serum) की कोविशिल्ड से काफी महंगी पड़ेगी। क्योंकि राज्यों के लिए 400 रुपए प्रति डोज और निजी अस्पतालों के लिए 600 रुपए प्रति डोज तय की गई है। लेकिन कोविशिल्ड (Covishield) अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत देखें तो वो देश में महंगी ही पड़ रही है। दरअसल, सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute) ने अमेरिका और ब्रिटेन को भारत से भी ज्यादा सस्ती कीमत पर कोविशिल्ड (Covishield) वैक्सीन दी है।
गैंरो पर करम, अपनों पर सितम!
जहां भारत में केंद्र सरकार के लिए कोविशिल्ड (Covishield) की कीमत 150 रुपए प्रति डोज और राज्य निजी अस्पताल के लिए 600 रुपए प्रति डोज है वहीं सउदी अरब और दक्षिण अफ्रीका के लिए 393 रुपए, अमेरिका और बांग्लादेश को 299 रुपए, ब्रजील को 236 रुपए, ब्रिटेन को 224 रुपए और यूरोपीय संघ को 161 से 262 रुपए प्रति डोज की कीमत पर कोविशिल्ड (Covishield) बेची जा रही है। जाहिर है देश में वैक्सीन के दाम अलग-अलग और मुंह मांगे वसूले जा रहे हैं। ये मुद्दा पीएम मोदी के साथ हाल ही में मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवा ने भी उठाया।
वैक्सीन के दाम पर सफाई
वैक्सीन पर मंचे इस घमासान के बीच भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने कीमतों को लेकर सफाई दी है। भारत बायोटेक (Bharat Biotech) का कहना है कि कोवैक्सीन (Covaxin) वैक्सीन कोरोना के खिलाफ 78 फीसद तक प्रभावी है और इसके विकास, रिसर्च और उत्पादन के लिए उन्होंने अपने संसाधन का इस्तेमाल किया है और ये लागत रिकवर होनी चाहिए। वहीं सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute) का कहना है कि कोविशिल्ड (Covishield) आज भी कोरोना की सबसे सस्ती वैक्सीन है क्योंकि वायरस लगातार रुप बदल रहा है और इससे लड़ने के लिए क्षमता विस्तार में निवेश की जरुरत है। सीरम का ये भी कहना है कि कोविशिल्ड (Covishield) की कीमत कोरोना के इलाज के होने वाले खर्चों के मुकाबले बेहद कम है और इसलिए वैक्सीन की कीमतों की वैश्विक तुलना ठीक नहीं है।
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विदेशी वैक्सीन के बराबर दाम
हालांकि, दुनिया के दूसरे वैक्सीनों की कीमत से अगर सीरम के कोविशिल्ड (Covishield) की तुलना करें तो ये विदेशी वैक्सीन के दाम के बराबर ही मिलेगी। फाइजर (Pfizer) कंपनी ने अमेरिका में अपने टीके का दाम 1470 रुपए प्रति डोज रखा है, वहीं नोवावैक्स (Novavax) अमेरिका को 1200 रुपए प्रति डोज के कीमत पर मिल रहा है। जॉनसन एंड जॉनसन (Johnson & Johnson) की सिंगल डोज वैक्सीन अमेरिका को 750 रुपए में ही मिलेगी। जाहिर है एक देश में दो देसी वैक्सीन कोविशिल्ड और कोवैक्सीन के 6 अलग-अलग दाम हैं। यही बात राज्य सरकारों को परेशान कर रही है जो वैक्सीन खरीदना चाहती है। सवाल उठता है कि एक ही देश में जब इमरजेंसी यूज के लिए टीकों को मंजूरी दी गई है और महामारी के एक्ट के तहत मंजूरी दी गई है तो फिर टीका लगाने वाली कंपनी को रेट तय करने के लिए क्यों आजाद छोड़ दी गई। दुनिया भर में सरकारें जब मुफ्त में टीका लगा रही है तो हमारे यहां पैसे क्यों देने पड़ रहे है।