कोरोना से लड़ने के लिए डीआरडीओ (DRDO) की रामबाण दवा (Anti-Covid Drug) आ गई है। ये ऐसी दवा है जो कोरोना के मरीजों को जल्द रिकवर होने में मददगार साबित होगी। साथ ही साथ ये आपके शरीर में ऑक्सीजन की जरूरत को भी कम कर देगी। डीआरडीओ के इस इनोवेशन (DRDO Innovation) से देश कोरोना लहर का सामना आसानी से कर पाएगा। ऑक्सीजन की कमी के बीच ये देश को राहत देने वाला आविष्कार (DRDO Invention) है। वैसे तो डीआरडीओ भारत के सेना और अंतरिक्ष के जरूरतों को पूरा करने के लिए काम किया करता है, लेकिन देश को जब जरूरत पड़ी तो डीआरडीओ (DRDO) दवा की गोली भी तैयार कर दी। जिस तरह से देश में कोरोना संक्रमितों (Corona Infected) के लिए लगातार लाख कोशिशों के बाद भी ऑक्सीजन की आपूर्ति एक चुनौती बनी हुई है। दिल्ली में तो ऑक्सीजन सप्लाई (Oxygen Supply) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक को हस्तक्षेप करना पड़ा। देश में शायद ही कोई शहर हो, जहां ऑक्सीजन की मांग ना बढ़ी हो। डॉक्टरों और विशेषज्ञों की माने तो ऑक्सीजन की कमी से अभी भी मरीजों की मौत हो रही है। ऐसे संकट काल में हमारे वैज्ञानिकों (Scientists) ने वो रास्ता तलाश लिया हैं जो इस लड़ाई में गेमचेंजर साबित हो सकता है।
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डीआरडीओ (DRDO) की दवा की क्या है खासियत ?
दरअसल, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (Drugs Controller General of India) कोरोना के इलाज के लिए एक दवा के इमरजेंसी इस्तेमाल (Emergency Use) को मंजूरी दे दी है। रक्षा मंत्रालय ने इस बत की जानकारी दी है। DRDO ने एंटी-कोविड दवा (Anti-Covid Drug) 2-डीजी (2-DG) विकसित की है। 2-डीजी (2-DG) दवा की खास बात ये है कि इससे ना सिर्फ कोरोना के मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता कम हो रही है, बल्कि इलाज के दौरान मरीज तेजी से ठीक भी हो रहे हैं। 2-डीजी (2-DG) दवा से इलाज कराने वाले ज्यादातर मरीज के आरटी-पीसीआर जांच (RT PCR Test) में निगेटिव आए। इस दवा की एक और खास बात ये है कि 2-डीजी का जो काम करने का तरीका है वो बाकी के दवाइयों से अलग है और ये कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित कोशिकाओं (Infected Cells) की पहचान आसानी से कर लेती है। उस संक्रमित कोशिकाओं में 2-डीजी दवा ऐसे चिपक जाती है कि वायरस की संख्या बढ़ ही नहीं पाती और ये एक आम कोरोना मरीजों को ढाई से तीन दिन पहले निरोग कर देती है। एक तरह से मेडिकल की दुनिया में ये बेहद क्रांतिकारी भी साबित हो सकती है।
कैसे होगा डीआरडीओ (DRDO) की दवा का इस्तेमाल ?
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस दवा का इस्तेमाल बेहद आसान है ये दवा पाउडर के रूप में आती है, जिसे पानी में घोलकर लिया जा सकता है। इस दवा को डीआरडीओ (DRDO) इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलाइड साइंसेज (INMAS) और हैदराबाद सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) ने मिलकर तैयार किया है। इस दवा को अभी 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-Deoxy-D-Glucose) यानी (2-DG) नाम दिया गया है और इसकी मैन्युफैक्चरिंग (Manufacturing) की जिम्मेदारी हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज (Dr. Reddys Laboratories) को दी गई है। मंत्रालय ने बताया कि 2-DG दवा जेनेरिक मॉलीक्यूल है और ये ग्लुकोज से मिलता जुलता है, इसलिए इसका उत्पादन भी आसान होगा। उम्मीद है कि अगले कुछ हफ्तों में 2-DG दवा मिलनी शुरू हो जाएगी।
डीआरडीओ (DRDO) की दवा का कब और कैसे हुए ट्रायल ?
डीआरडीओ के वैज्ञानिकों (DRDO Scientists) ने बताया कि पिछले साल महामारी शुरू होने के बाद अप्रैल में डीआरडीओ ने इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया था। मई से अक्टूबर 2020 के बीच दूसरे चरण का परीक्षण (Second Phase Trial) किया गया, जिसमें 11 अस्पतालों के 110 मरीजों को ये दवा दी गई। नतीजा ये निकला कि बाकी मरीजों के मुकाबले 2-डीजी दवा लेने वाले मरीज ज्यादा ठीक हुए। नवंबर 2020 में डीसीजीआई (DCGI) ने इसके तीसरे चरण के परीक्षण (Third Phase Trial) को मंजूरी दी। तीसरे फेज का परीक्षण दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच हुआ जिसमें देश भर के 27 अस्पतालों के 220 मरीजों 2-डीजी दवा दी गई। ये अस्पताल दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के हैं।
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नतीजा ये निकला की 42 फीसदी मरीजों की ऑक्सीजन की निर्भरता तीसरे दिन ही खत्म हो गई। लेकिन जिन्हें ये दवा नहीं दी गई उनमें से 31 फीसदी मरीजों की ही ऑक्सीजन पर निर्भरता खत्म हुई। यानी इस महामारी (Epidemic) में कोरोना वायरस (Coronavirus) से जूझ रहे लोगों के लिए DRDO की 2-DG दवा काफी फायदेमंद साबित हो सकती है।